इनमें से एक पत्ती में एक छिद्र बना रहता है कि वह दूसरी भुजा की पत्ती द्वारा स्वरित्र की स्थिरावस्था में पूरा ढका रहे और दोलन करते समय जब भुजाएँ फैल जाएँ तो छिद्र खुल जाए।
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इनमें से एक पत्ती में एक छिद्र बना रहता है कि वह दूसरी भुजा की पत्ती द्वारा स्वरित्र की स्थिरावस्था में पूरा ढका रहे और दोलन करते समय जब भुजाएँ फैल जाएँ तो छिद्र खुल जाए।
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36 प्रतिशत निकल का, इस्पात, जो “ इनवार ” नाम से प्रसिद्ध है, अपने अति निम्न-प्रसार-गुणांक के कारण यथार्थदर्शी घड़ियों, स्वरित्र (टयूनिंग फ़ोर्क) तथा बहुत से वैज्ञानिक उपकरण बनाने में उपयुक्त होता है।
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जैसे स्वरित्र वाद्ययंत्र (ट्यूनिंग फोर्क) में एक तरह की कंपन वाले तार एक साथ बज उठते हैं उसी तरह जब आप उस मंत्र का जाप करते हैं जो आपकी हजारों साल पुरानी चेतना में है, तब उसमें भी किसी गहन सतह पर संवेदिक कंपन उठते हैं।