-Uttar Kaand 99 (a) & (B) हिंदी-सद्गुणी, आचारवान एवं सुशील (हो सकता है स्वरूपवान न हो) पति को छोड़ कर अभागिनी औरतें दूसरे स्वरूपवान (भले समस्त दुर्गुण क़ी खान हो) पुरुष से समबन्ध बनायेगीं.
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-Uttar Kaand 99 (a) & (B) हिंदी-सद्गुणी, आचारवान एवं सुशील (हो सकता है स्वरूपवान न हो) पति को छोड़ कर अभागिनी औरतें दूसरे स्वरूपवान (भले समस्त दुर्गुण क़ी खान हो) पुरुष से समबन्ध बनायेगीं.
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उनके अनुसार जो स्त्री या पुरुष क्रोध करता है, उसके शत्रु को इन सात बातों की प्रसन्नता होती है:-(1) मनुष्य चाहता है कि उसका शत्रु कुरूप हो जाए क्योंकि कोई भी यह पसंद नहीं करता है कि उसका शत्रु स्वरूपवान हो, सुंदर [...]
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सुन्दर काण्ड के दशम् सर्ग मे उल्लेख है कि हनुमान ने राक्षस राज रावण को तपते हुये सूर्य के समान तेज और बल से संपन्न देखा ।रावण स्वरूपवान था ।हनुमान विचार करते हैं, 'अहा इस राक्षस राज का स्वरूप कैसा अद्भु है!कैसा अनोखा धैर्य है,कैसी अनुपम शक्ति है और कैसा आश्चर्यजनक तेज है!यह संपूर्ण राजोचित लक्षणों से युक्त है ।'
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मंत्रणा के योग्य मंत्री के भीतर भीष्म ने जिन गुणों की चर्चा शांति पर्व में की है, उनमें एक मंत्री का परममित्र, स्वरूपवान, मृदुभाषी, क्षमाशील, शिष्टाचारी, बुद्घिमान, स्मृतिवान, कुशल, दयालु, यशस्वी, एवं सामथ्र्यवान पुरूष, किसी से द्वेष नही रखने वाला तथा किसी भी परिस्थिति में धर्म को न छोडने वाला, जैसे गुणों को वर्णित किया है।