इसके अलावा 60 फीसदी स्वास्थ्य-रक्षा का काम निजी सेक्टर के हाथ में है और 70 फीसदी लोग किसी सरकारी या निजी स्वास्थ्य योजना से बाहर हैं, यानि वे अपना मेडीकल का खर्च खुद ही वहन करते हैं।
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वह पुराने वक्तों का आदमी था जो अगर पत्थर को पूजता था तो उसी पत्थर से डरता भी था, जिसके लिए एकादशी का व्रत केवल स्वास्थ्य-रक्षा की एक युक्ति और गंगा केवल स्वास्थ्यप्रद पानी की एक धारा न थी।
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वे इस बात पर भी जोर देते थे कि प्रत्येक व्यक्ति इतना सक्षम होना चाहिए कि उसे जीवन की जरूरी बातें जैसे सफाई, स्वास्थ्य-रक्षा, पौष्टिक आहार आदि का पता हो तथा वह उन्हे सहजता से सीख सके।
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हमारे स्वास्थ्य-रक्षा तन्त्र की स्थिति तथा भारतीय भाषीय परियोजनाओं के बढ़ते पाठकत्व, दोनों को देखते हुए, यदि हम इस पहल में भाग लें तथा ये लेख सभी भारतीय भाषाओं में हो जायें तो इसका भारी सकारात्मक प्रभाव होगा।
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वह पुराने वक्तों का आदमी था जो अगर पत्थर को पूजता था तो उसी पत्थर से डरता भी था, जिसके लिए एकादशी का व्रत केवल स्वास्थ्य-रक्षा की एक युक्ति और गंगा केवल स्वास्थ्यप्रद पानी की एक धारा न थी।
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इसकी वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था सबसे अधिक तेज़ी से विकसित होने वाली विश्व की अर्थव्यस्था बनी, उद्योग, कृषि, व्यापार, वाणिज्य, विज्ञान, और स्वास्थ्य-रक्षा, शिक्षा और बुनियादी ढांचा जैसे सभी क्षेत्रों में जोरदार प्रगति।
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मैं उन्हें स्वास्थ्य-रक्षा और सफाई के महत्व के प्रति जागरूक करूंगा और जब वे मुझसे कहेंगे कि मैं उनके लिए एक मेहतर की व्यवस्था कर दूं तो मैं कहूंगा, “ मैं आपका मेहतर हूं और आपको इस काम की शिक्षा मैं दूंगा. ”
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जनसंख्या बढ़ने का कारण आज भी पहले की तरह अधिक बच्चे पैदा होना नहीं है बल्कि यह है कि स्वास्थ्य-रक्षा के उन्नत तरीकों, आधुनिक साधनों और जीवन रक्षक दवाओं के अविष्कार तथा अस्पतालों, प्रसूति केन्द्रों, मातृ-गृहों की मदद से प्रसव के खतरों को कम से कम कर, मां-शिशु की प्रसवजनित मृत्यु संख्या को आशातीत स्तर तक कर लेना है।
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निष्पक्ष दृष्टि से यदि देखा जाये तो बाबा अपने योग-शिविरों में परित्राणाय साधूनाम् अर्थात् सज्जनों की स्वास्थ्य-रक्षा हेतु उन्हें प्राणायाम सिखाते हैं साथ ही साथ अपने क्रान्तिकारी व्याख्यानों के माध्यम से सारे देश को ही नहीं, अपितु पूरे विश्व को यह सन्देश देकर कि सभी दुर्जनों, भ्रष्टाचारियों व बलात्कारियों के लिये प्राण-दण्डकी व्यवस्था संविधान में हो,एक प्रकार से विनाशाय च दुष्कृताम् का पवित्र कार्य पूरे मनोयोग, सच्ची निष्ठा व दृढ संकल्प के साथ करने में अहर्निश डटे हुए हैं।
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निष्पक्ष दृष्टि से यदि देखा जाये तो बाबा अपने योग-शिविरों में परित्राणाय साधूनाम् अर्थात् सज्जनों की स्वास्थ्य-रक्षा हेतु उन्हें प्राणायाम सिखाते हैं साथ ही साथ अपने क्रान्तिकारी व्याख्यानों के माध्यम से सारे देश को ही नहीं, अपितु पूरे विश्व को यह सन्देश देकर कि सभी दुर्जनों, भ्रष्टाचारियों व बलात्कारियों के लिये प्राण-दण्डकी व्यवस्था संविधान में हो,एक प्रकार से विनाशाय च दुष्कृताम् का पवित्र कार्य पूरे मनोयोग, सच्ची निष्ठा व दृढ संकल्प के साथ करने में अहर्निश डटे हुए हैं।