प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी कम से कम दो और अधिकतम पचास सदस्यों का स्वैच्छिक संघ है, जिनका दायित्व सीमित होता है, जिनके शेयरों का अंतरण इसके सदस्यों तक सीमित होता है, जो साधारण जनता को इसके शेयर या डिबेन्चरों का ग्राहक बनने के लिए आमंत्रित करने के निमित अनुमन नहीं है।
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औपनिवेशिक सत्ता से आज़ादी की लड़ाई के दौरान कांग्रेसी नेतृत्व ने एकाधिक बार देश की जनता से यह वायदा किया था कि आज़ादी मिलने के बाद भारत गणराज्यों का एक ऐसा स्वैच्छिक संघ होगा जिसमें विभिन्न इकाइयों के पास अधिकतम स्वायत्तता होगी और केवल कुछ ही न्यूनतम साझा मामले केन्द्र के पास होंगे।