बचपन से उसे हँसुली का बड़ा शौक था, पर वह कभी चाँदी की हँसुली से आगे नहीं बढ़ सकी।
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बचपन से उसे हँसुली का बड़ा शौक था, पर वह कभी चाँदी की हँसुली से आगे नहीं बढ़ सकी ।
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बचपन से उसे हँसुली का बड़ा शौक था, पर वह कभी चाँदी की हँसुली से आगे नहीं बढ़ सकी ।
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गले में हँसुली और हुमेल है, कानों में करनफूल और सोने की बालियाँ, हाथों में चाँदी के चूड़े और कंगन।
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वैवाहिक जीवन में, यहां तक की जिन् दगी के आखिर दिनों तक, असली हँसुली के लिये तरसती रह गयी ।
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कर्ज चुकाने के लिये उसे अपनी चाँदी की हँसुली को साहूकार को लौटा देने या गिरवी रख देने तक का विचार करना पड़ा।
27.
उपन्यास-दमन, चांदी की हँसुली एवं अभिशाप, कहानी संग्रह-मुट्ठी भर आग, हँसते जख़्म एवं सपनों की बारात, लघुकथा संग्रह-उखड़े पाँव, कतरा-कतरा आँसू एवं एहसास ।
28.
अर्थाभाव के कारण खेतिहर श्रमिक को किन-किन कठिनाइयों से गुजरना पड़ता है, यह उपन्यास, ' चाँदी की हँसुली ' उसका आईना है।
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आज जीवन में पहली बार पन्ना को रग्घू पर विश्वास आया, बोली-जब गहना ही बेचना है, तो अपनी मुहर क्यों बेचोगे? मेरी हँसुली ले लेना।
30.
कथा के केंद्र में चाँदी की हँसुली है, यह केवल चाँदी की हँसुली की कथा नहीं है, यह औरतों के आभूषण-प्रेम की कहानी भी है।