एक बार कार्ड खेलते हुए जब शकुंतला देवी मात्र 3 साल की थीं, बेटी की नंबर्स को याद रखने की खासियत और कार्ड ट्रिक्स को तुरंत सीखकर पिता को हरा देना, उनके पिता के लिए भी हैरानी भरा था.
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जीतना उनकी आदत होगी झूकना तो वो भूल गये होगे उचाईया छूना ही उनके अरमान होगे तकदीर के साथ लड़ना उनका शोक होगा वो न्ही जानते शायद की खोखली खुशियो मे जीना तो हार है प्यार के लिए झूकना ही असली जीत है किसी हारे हुए को उठाना एक ज़िंदगी की उचाई हॅ कुछ नही पास फिर भी गमो को हरा देना सबसे बड़ी लड़ाई है आँसू है आँखो मे फिर भी मुस्कुराना ही ज़िंदगी की सचाई है