यहाँ यह उल्लेख करना प्रासंगिक होगा कि सर्वोच्च हस्तलेख विशेषज्ञ श्री बी लाल कपूर ने साबित किया था कि भगवनजी की अंग्रेजी और बंगला लिखावट नेताजी की लिखावट से मेल खाती है।
22.
हस्तलेख विशेषज्ञ की आख्या मात्र एक राय है, लेकिन जिस व्यक्ति को धनराशि प्राप्त नहीं हुई है, उसके द्वारा धनराशि के भुगतान से इन्कार किया जाना आवश्यक है और ऐसा अभियोजन द्वारा नहीं किया गया।
23.
विद्वान न्यायिक मजिस्टेट, टनकपुर द्वारा प्रार्थी/अभियुक्त द्वारा दिया गया प्रार्थनापत्र 81क अंतर्गतधारा-45 साक्ष्य अधिनियम बावत चेक पर लिखी गई इबारत के संबंध में हस्तलेख विशेषज्ञ की रिपोर्ट चाहने प्रस्तुत किया, जिसे अस्वीकार किया गया, जिससे क्षुब्ध होकर यह निगरानी निम्न आधारों पर योजित की गई है।
24.
अतः ऐसी स्थिति में निगरानीकर्ता / अभियुक्त के विद्वान अधिवक्ता का यह कथन कि जहां चेक पर इबारत अभियुक्त द्वारा न लिखी गई हो और हस्ताक्षर व इबारत अलग-अलग स्याही से लिखी गई हो, के संबध में इस प्रकार के लेख व हस्ताक्षर को हस्तलेख विशेषज्ञ से सत्यापित/परीक्षित करवाना न्यायहित में आवश्यक है।
25.
निगरानीकर्ता / अभियुक्त द्वारा प्रश्नगत प्रार्थनापत्र 81क संक्षेप में इस आशय के साथ प्रस्तुत किया गया कि निगरानीकर्ता/अभियुक्त द्वारा अपनी प्रतिरक्षा में मौखिक साक्ष्य के दौरान प्रश्नगत चेक की इबारतों को अपने द्वारा लिखने से इंकार किया गया है और इस प्रकार से प्रश्नगत चेक पर हस्ताक्षर व इबारत अलग-अलग स्याही से लिखी गई है, जिसका मिलान आवश्यक है और उक्त हस्ताक्षर एवं लेख को हस्तलेख विशेषज्ञ से करवाये जाने की अनुमति चाही गई।