पहले करंज की मिंगी को कूट-पीस कर बारीक चूर्ण कर लें, फिर हींग व शंख भस्म मिलाकर शुद्ध हिंगुल पीसकर मिलाकर सबको एक जान कर लें।
22.
नुस्खा-स्वर्ण भस्म या वर्क दस ग्राम, मोती पिष्टी बीस ग्राम, शुद्ध हिंगुल तीस ग्राम, सफेद मिर्च चालीस ग्राम, शुद्ध खर्पर अस्सी ग्राम।
23.
हिंगुलाकृष्ट-हिंगुल को अदरक या नींबू आदि के रस में घोटकर विद्याधर यंत्र या कनु के यंत्र से उड़कर निकाले हुए पारे को हिंगुलाकृष्ट पारा कहते हैं।
24.
उनकी मान्यता है कि हिंगुल में जहर को मारने की शक्ति होती है अतः हिंगलाज देवी भी जहर से सम्बंधित रोगों से त्राण दिलाने में सक्षम हैं ।
25.
लौह अयस्क के निस्पातन के लिए हिंगुल (गंधक एवं पारद) का उपयोग किया जाता था तथा भर्जन के लिए छिछली भठ्ठियों की अनुशंसा की गई है, जो पूर्णत:
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लौह अयस्क के निस्पातन के लिए हिंगुल (गंधक एवं पारद) का उपयोग किया जाता था तथा भर्जन के लिए छिछली भठ्ठियों की अनुशंसा की गई है, जो पूर्णत:
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लौह अयस्क के निस्पातन के लिए हिंगुल (गंधक एवं पारद) का उपयोग किया जाता था तथा भर्जन के लिए छिछली भठ्ठियों की अनुशंसा की गई है, जो पूर्णत: वैज्ञानिक है।
28.
पेट दर्द होने पर निम्नलिखित नुस्खा प्रयोग करना चाहिए-चिकित्सा: करंज के बीज की मिंगी 50 ग्राम, कच्ची हींग 10 ग्राम, शुद्ध हिंगुल 3 ग्राम, शंख भस्म 10 ग्राम और गुड़ 50 ग्राम।
29.
पारे को शिव तत्व तथा गन्धक को पार्वती तत्व माना गया और इन दोनों के हिंगुल के साथ जुड़ने पर जो द्रव्य उत्पन्न हुआ, उसे रससिन्दूर कहा गया, जो आयुष्य-वर्धक सार के रूप में माना गया।
30.
पेट दर्द होने पर निम्नलिखित नुस्खा प्रयोग करना चाहिए-चिकित्सा: करंज के बीज की मिंगी 50 ग्राम, कच्ची हींग 10 ग्राम, शुद्ध हिंगुल 3 ग्राम, शंख भस्म 10 ग्राम और गुड़ 50 ग्राम।