राहुल जी द्वारा उठाए गए ये प्रश्न और सुझाव इतने गंभीर, सटीक और शाश्वत हैं कि इनकी अनदेखी नहीं की जा सकती, किंतु यह कल्पना करना कि डेढ़-दो महीने की अवधि में विदेश मंत्रालय का हिंदी अनुभाग विश्व हिंदी सम्मेलन की भारी-भरकम तैयारियों के साथ-साथ इन सुझावों को कार्यान्वित कर पाएगा, उचित नहीं होगा.