इमाम खुमैनी ने पैगम्बरे इस्लाम (स) के जीवन के सभी आयामों को अपने लिये आदर्श बनाते हुये पशिचमी एवं पूर्वी समाजों की संस्कृति की गलत व अभद्र बातों को रद्द करके आध्यात्म एंव ईश्वर पर विश्वास की भावना समाजों में फैला दी और यही वह वातावरण था जिसमें साहसी और ऐसे युवाओं का प्रशिक्षण हुआ जिन्होने इस्लाम का बोलबाला करने में अपने जीवन की बलि देने में भी हिचकिचाहट से काम नहीं लिया ।