पुष्प मंजरी अति कोमल एवं ८ इंच लम्बी और बहुरंगी छटाओं वाली होती है, जिस पर बैंगनी और गुलाबी आभा वाले बहुत छोटे हृदयाकार पुष्प चक्रों में लगते हैं।
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पुष्प मंजरी अति कोमल एवं ८ इंच लम्बी और बहुरंगी छटाओं वाली होती है, जिस पर बैंगनी और गुलाबी आभा वाले बहुत छोटे हृदयाकार पुष्प चक्रों में लगते हैं।
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पुष्प मंजरी अति कोमल एवं ८ इंच लम्बी और बहुरंगी छटाओं वाली होती है, जिस पर बैंगनी और गुलाबी आभा वाले बहुत छोटे हृदयाकार पुष्प चक्रों में लगते हैं।
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इसका फल चपटा भूरा तथा अलग अलग प्रजातियों के अनुसार अंडाकार से लेकर हृदयाकार तक दो सेमी व्यास का होता है, जिसमें दो भाग होते हैं और प्रत्येक भाग में एक बीज होता है।
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इसका तना हरा, मांसल, पत्ती हृदयाकार, फूल गुच्छकों में, छोटे पीले, फल-छोटे मटर के समान, अल्पावस्था में हरित एवं पकने पर लाल रंग के तथा बीज सफेद मिर्च के दाने के समान छोटे होते हैं।
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पूजा हृदयपूर्वक होनी चाहिए, ऐसा सूचित करने के लिए ही तो नागवल्ली के हृदयाकार पत्ते का पूजा सामग्री में समावेश नहीं किया गया होगा न! पत्र यानी वेद-ज्ञान, ऐसा अर्थ तो गीताकार ने खुद ही 'छन्दांसि यस्य पर्णानि' कहकर किया है।