| 31. | ] 1. पुराने समय में बच्चों को पहनाई जाने वाली एक प्रकार की टोपी जिसमें चार तनियाँ या बंद लगे होते थे 2. अँगिया ; चोली।
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| 32. | खोदत-खोदत कामांगन को जल के सोते फूटे री सखीउसके अंग के फब्बारे ने मोहे अन्तस्थल तक सींच दियाउस रात की बात न पूंछ सखी जब साजन ने खोली अँगिया..
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| 33. | मुँह लाल गुलाबी आँखें हों और हाथों में पिचकारी हो उस रंग भरी पिचकारी को अँगिया पर तककर मारी हो सीनों से रंग ढलकते हों तब देख बहारें होली की
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| 34. | मुँह लाल गुलाबी आँखें हों और हाथों में पिचकारी हो उस रंग भरी पिचकारी को अँगिया पर तककर मारी हो सीनों से रंग ढलकते हों तब देख बहारें होली की
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| 35. | मुँह लाल गुलाबी आँखें हों और हाथों में पिचकारी हो उस रंग भरी पिचकारी को अँगिया पर तक के मारी हो सीनों से रंग ढलकते हों तब देख बहारें होली की
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| 36. | रंगों में फूलों की मस्ती घुल कर छाती है आँचल से बिछुरी अँगिया दरबार सजाती है मुझे दोष देने से पहले पाहुन तो देखो मन का भृंगी गीत तरंगी किसे सताता है ।
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| 37. | ऐसे स्पंदन सखी मैंने, कभी सोचे न महसूस किये पूरा अंग बाहर किया सखी, फिर अन्तस्थल तक ठेल दिया उस रात की बात न पूँछ सखी, जब साजन ने खोली अँगिया
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| 38. | हँसी ठिठोली बहनों की, मुझको बिलकुल न भाई सखी सिरदर्द के बहाने मैंने तो, बहनों से किनारा काट लिया उस रात की बात न पूँछ सखी, जब साजन ने खोली अँगिया
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| 39. | स्तन मुट्ठी में जकड सखी, उसने उनको था उभार लिया उभरे स्तन को साजन ने, अपने मुंह माहि उतार लिया उस रात की बात न पूँछ सखी, जब साजन ने खोली अँगिया
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| 40. | साजन ने जोर लगा करके, मोहे अपने ऊपर लिटा लिया मेरे तपते होठों को उसने, अपने होठों में कैद किया उस रात की बात न पूँछ सखी, जब साजन ने खोली अँगिया
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