कोई कैसे देख सकता है आने वाले वक़्त की शक्ल ये किसी की इक्छा पर नही निर्भर नहीं हो सकता की वो शक्ल वैसी ही हो जैसी वो चाहे, रिल्के की कविता याद आती है...टूटे पंख वाला समय-फिर भी अपनी पुरजोर चाल से दौड़ता है समय यूं मानो अंतिम दौड़ हो सुस्ताने का कोई क्षण मोहलत नहीं देता जहाँ बैठकर ये सब होता है वहाँ की सफेद दीवारें पसीजती है,और उनके पीछे एक दूसरी दुनिया खुली-खुली सी..
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/ /-कोई कैसे देख सकता है आने वाले वक़्त की शक्ल ये किसी की इक्छा पर नही निर्भर नहीं हो सकता की वो शक्ल वैसी ही हो जैसी वो चाहे, रिल्के की कविता याद आती है...टूटे पंख वाला समय-फिर भी अपनी पुरजोर चाल से दौड़ता है समय यूं मानो अंतिम दौड़ हो सुस्ताने का कोई क्षण मोहलत नहीं देता जहाँ बैठकर ये सब होता है वहाँ की सफेद दीवारें पसीजती है,और उनके पीछे एक दूसरी दुनिया खुली-खुली सी..
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| श्रेणी: ध्वनि हीलिंग | एक टिप्पणी छोड़ दो योगी ज़ेन यार-भाव और ध्वनि हीलिंग-रेडियो शो-अनंत काल से फुसफुसाते हुए-परमहंस योगानंद द्वारा गाइड मुझे हे आत्मा सारथी-8-31-09-एमपी 3 योगी ज़ेन यार-भाव और ध्वनि हीलिंग-रेडियो शो-अनंत काल से फुसफुसाते हुए-गाइड मुझे, परमहंस योगानंद द्वारा हे आत्मा सारथी-8-31-09-एमपी 3-किंग्स के हे राजा, मैं सवारी करेगा अंतिम दौड़ के अंतिम चरण के बाद तेरा अनंत प्रकाश की एक रथ.