इस अजनबी संसार में जैसे हम दो ही प्राणी थे, नश्वर, उस अनश्वर समुद्र की गरजती लहरों और जमीन आसमान के एक होने की परछाई मात्र से सिहरते, अकेले पर फिर भी साथ-साथ।
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वरना मुझ अकेले पर ही सारा भार था. ;) नाहर भाई वादा करो वो मेरे राज जो मैं और मेरी सास ही जानते हैं और उस दिन आपको मनाने के लिए चेट कर करे थे तब उगल दिये थे, आप किसी के नहीं बताएंगे.
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उन्होंने चैधरी साहब से कहा, सारे सन्सार के चलाने वाले सर्व-शक्तिमान (कादिरे मुतलक) खुदा का घर ढाकर इन्होंने ऐसा बडा पाप किया है कि अगर वह मालिक सारे सन्सार को खत्म कर दे तो ठीक हैं, यह तो बहुत कम है कि इस अकेले पर पडी है।
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अतुल, जो बातेँ तुमने यहाँ बताईँ वो साल भर से ज्यादा की हो गयीँ.उसके बाद से बहुत कुछ हो गया.करोडोँ-अरबोँ बाइट इधर से उधर हो गये अन्तरजाल के महासागर मेँ.अब ये बताओ कि कौन सी अँग्रेजी की साइट है जिसकी तरह की साइट तुम बनाना चाहते हो? देबाशीष अकेले पर राशन-पानी लेकर पिलना उचित कैसे है?
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इस पर युधिष्ठिर बोला, “ दुर्योधन! यदि तुम इसी डर से इस सरोवर में छिप गए हो कि अकेले पर हम सभी आक्रमण करेंगे, तो सुनो, हम पांचों भाइयों में से जिस एक से तुम युद्ध करना चाहो, उसी से युद्ध कर लो | जो जीत जाएगा, वही राज्य का अधिकारी होगा | ”
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ये बात सही है कि लड़की को नौकरी करनी (मिलनी) चाहिए, गोना दो-तीन साल बाद हो जाता.....पर क्या गौना लड़की या लड़की के बाप की मर्जी अकेले पर ही टिका रहता है कि जब चाह किया जब चाह नहीं किया?यदि किसी लड़की के गौने में इतना समय लगता है तो तमाम तरह की बातें बननी शुरू हो जातीं हैं (विशेष कर गाँव में) बहरहाल समस्या इस तरह की है कि हम लोग दूर बैठ कर सिर्फ़ आदर्शात्मक बातें ही कर सकते हैं वास्तविकता से जो पिता जूझ रहा है उससे पूछो तब पता लगेगा.........