| 31. | कोटि जन्म अघ नासों तबहीं ।
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| 32. | कोटि जन्म अघ नासो तबही ।
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| 33. | छमि अघ शरन गहे जो राखत ऐसो छ्मावान कहाँ ।।
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| 34. | जन्म कोटी अघ नासहिं तबहीं ॥
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| 35. | बिनु अघ अजस कि पावइ कोई।।
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| 36. | जे अघ तिय बालक ब ध
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| 37. | ' सिय निंदक अघ ओघ नसाए।
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| 38. | अघ कि पिसुनता सम कछु आना।
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| 39. | परम धर्म श्रुति बिदित अहिंसा।पर निंदा सम अघ न गरीसा।।11।।
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| 40. | जेहि अघ बधेउ ब्याध इव बाली।
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