| 31. | जो अजन्मा है उसका जन्मदिन क्यों मनाते हो तुम?
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| 32. | श्री विष्णु जी अजन्मा, सर्वेश्वर, अविनाशी हैं।
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| 33. | सूफ़ी दर्शन-2 वाजिबुल वुजूद अल्लाह अजन्मा और अनश्वर है।
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| 34. | वे अजन्मा हैं और अनादि हैं.
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| 35. | साथ निर्गुण-निराकार-अजन्मा ब्रह्म (शिव)से प्रार्थना की, “प्रभों!
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| 36. | वे सब के सब न अजन्मा है न अनादि।
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| 37. | यह आत्मा अजन्मा, नित्य शाश्वत और सनातन है।
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| 38. | परमात्मा अजन्मा है तथा सदैव रहता है।
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| 39. | क्योंकि ये अजन्मा और अविनाशी है ।
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| 40. | वर्तमान संदर्भ में व्याख्या-आत्मा अजन्मा और अमर है।
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