' ' इस पर टिप्पणी करते हुए डॉ. मैनेजर पाण्डेय ने एक सैद्धान्तिक आशंका व्यक्त की थी कि सांस्कृतिक परिवर्तन के बगैर राजनीतिक परिवर्तन को कठिन कहना क्या प्रकारान्तर से बुनियादी बदलाव की प्रक्रिया में ऊपरी ढांचे को आधार से अधिक महत्व देना नहीं है?
32.
आपस्तम्ब धर्मसूत्र [289] ने श्राद्ध के लिए निश्चित कालों की व्यवस्था दी है, यथा-इसका सम्पादन प्रत्येक मास के अन्तिम पक्ष में होना चाहिए, दोपहर को श्रेष्ठता मिलनी चाहिए और पक्ष के आरम्भिक दिनों की अपेक्षा अन्तिम दिनों को अधिक महत्व देना चाहिए।
33.
हमें शिक्षा को अधिक महत्व देना चाहिए ताकि हम्मे विवेक का संचार हो और हम प्यार की वास्तविकता को समझ सके! हमें ये कभी भी नहीं सोंचना चाहिए की हमारे दोस्तों के पास गर्लफ्रेंड या बॉयफ्रेंड है और हमारे पास नहीं! इस प्रकार की सोंच को दिमाग में नहीं लाना चाहिए! ऐसा सोंचने से हम स्यम में हीन भावना महसूस करने लगते है!
34.
चरित्र के प्रारंभिक लक्षण-अत्यधिक विशिष्टता, तंग करने वाला स्वभाव, स्वयं के तथा दूसरों के प्रति समालोचक, तुच्छ बातों को अधिक महत्व देना, वस्तु की प्राप्ति के लिए स्रोत तक पहुंचने में असफल, शुष्क स्वभाव का तथा प्यार न करने वाला, भौतिक वस्तुओं को अत्यधिक महत्व देना, शुद्धिकरण, स्वच्छता तथा स्वास्थ्य विज्ञान के प्रति बिना कारण को समझे आवेशित होना।
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घरेलू बाईयों द्वारा एक घर में स्थाई काम करने के बजाए अधिक घरों में अस्थाई काम करना, युवाओं द्वारा टिकाउ कार्य के अवसरों को छोड़कर अस्थाई व अनौपचारिक कार्यव्यवस्था में कार्य करना, ईड़र में काम के लिए जाने वाले खेत श्रमिकों द्वारा फसल में अधिक भाग के स्थान पर एड़वांस को अधिक महत्व देना और भी कई ऐसे उदाहरण हैं जो कि मालिक/नियोक्ताओं के प्रति अविश्वास को दर्शाते हैं।