इनमें कक्षा 8 में 80 प्रतिशत से अधिक, कक्षा 10 व 12 में 75 प्रतिशत से अधिक, स्नातक व अधिस्नातक स्तर पर 70 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्तकर्ताओं के साथ साथ प्रशासनिक व अधिनस्त सेवाओं, राज्य व राष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतिभाओं को सम्मानित किया जायेगा।
32.
ऐसे कई सिद्ध चिकित्सा महाविद्यालय हैं जो निम्नलिखित अधिस्नातक डिग्री देते हैं, जैसे-सिद्ध औषधि एवं शल्य चिकित्सा स्नातक (बी. एस. एम. एस.) यह 5-1 / 2 वर्षीय पाठ्यक्रम है, जिसमें छह महीने या एक वर्ष की इंटर्नशिप अवधि भी शामिल है।
33.
स्वशिक्षित (PRIVATE STUDY):-अधिस्नातक (प्राचीन भारतीय इतिहास, हिन्दी एवं अंग्रेजी) पी. एच. डी.:-मेवाड़ प्रदेश का हीड़ साहित्य (राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर) अन्य डिग्री:-पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा एवं शिक्षा स्नातक, (सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर) एवं श्रव्य-दृश्य मीडिया में दक्ष।
34.
मगर, यदि विषय हटा दिए जाते हैं तो अभ्यर्थी सिर्फ स्नातक ही करेगा [क्योंकि यह न्यूनतम शेक्षणिक योग्यता है] और अधिस्नातक करने की जहमत नहीं करेगा क्योंकि सोचेगा कि इसका क्या फायदा, आर.ए.एस. में तो काम आएगी नही [यहाँ में बात उन अभ्यर्थियों की कर रहा हूँ जो मुख्यत आर.ए.एस. को लक्ष्य मानते हैं] क्या यह उच्चतर शिक्षा का दीर्घकालीन नुकसान नहीं है ।
35.
क्योंकि मैं ऐसे बहुत से अभ्यर्थियों को जानता हूँ जिन्होंने वर्तमान प्रशासनिक सेवा के पैटर्न को देखकर अधिस्नातक किया और फिर उस विषय के इन परीक्षाओं की तैयारी के दौरान गहन अध्ययन ने उन्हें इतना समर्थ बना दिया कि उन्होंने जब आर. ए.एस. और आई.ए.एस. में कई कोशिश के बाद सफलता प्राप्त नहीं की तो अपने उसी मजबूत विषय में पी.एच.डी. या नेट या बी.एड. करके व्याख्याता पद प्राप्त कर लिया ।
36.
इस तरह हम अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारेंगे क्योंकि इससे राजस्थान से आई. ए.एस.में उत्तीर्ण होने वाले युवकों की संख्या में जबरदस्त कमी आएगी जिसका नुकसान इस राज्य को झेलना पड़ेगा जिसकी सिविल सेवा परीक्षाओं में आगे ही कोई ख़ास स्थिति नहीं है [ड़] कोई अभ्यर्थी जो वर्तमान स्थिति की आर.ए.एस. देना चाहता है वह स्नातक करने के बाद अधिस्नातक भी साथ साथ कर लेता है या अधिस्नातक करके ही तैयारी में जुटता है क्योंकि उसे मालूम होता है कि यह अधिस्नातक का विषय उसे मुख्य परीक्षा में लेना होगा और इसकी अच्छी तैयारी उसे फायदा पहुंचाएगी ।
37.
इस तरह हम अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारेंगे क्योंकि इससे राजस्थान से आई. ए.एस.में उत्तीर्ण होने वाले युवकों की संख्या में जबरदस्त कमी आएगी जिसका नुकसान इस राज्य को झेलना पड़ेगा जिसकी सिविल सेवा परीक्षाओं में आगे ही कोई ख़ास स्थिति नहीं है [ड़] कोई अभ्यर्थी जो वर्तमान स्थिति की आर.ए.एस. देना चाहता है वह स्नातक करने के बाद अधिस्नातक भी साथ साथ कर लेता है या अधिस्नातक करके ही तैयारी में जुटता है क्योंकि उसे मालूम होता है कि यह अधिस्नातक का विषय उसे मुख्य परीक्षा में लेना होगा और इसकी अच्छी तैयारी उसे फायदा पहुंचाएगी ।
38.
इस तरह हम अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारेंगे क्योंकि इससे राजस्थान से आई. ए.एस.में उत्तीर्ण होने वाले युवकों की संख्या में जबरदस्त कमी आएगी जिसका नुकसान इस राज्य को झेलना पड़ेगा जिसकी सिविल सेवा परीक्षाओं में आगे ही कोई ख़ास स्थिति नहीं है [ड़] कोई अभ्यर्थी जो वर्तमान स्थिति की आर.ए.एस. देना चाहता है वह स्नातक करने के बाद अधिस्नातक भी साथ साथ कर लेता है या अधिस्नातक करके ही तैयारी में जुटता है क्योंकि उसे मालूम होता है कि यह अधिस्नातक का विषय उसे मुख्य परीक्षा में लेना होगा और इसकी अच्छी तैयारी उसे फायदा पहुंचाएगी ।