जिनके देर करने का डर था उनसे सहयोग तुरन्त मिला; जिनकी अनुकूलता का भरोसा था उन्होंने ही सबसे देर की-आलस्य या उदासीनता के कारण भी, असमंजस के कारण भी, और शायद अनभिव्यक्त आक्रोश के कारण भी: 'जो पास रहे वे ही तो सबसे दूर रहे'।
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कहानी ने इतना उद्वेलित कर दिया है कि स्वयं को रोक नहीं पा रही हूँ! दरअसल कहानी वास्तविक जीवन में जो जो जैसे जैसे घटित होता जाता है और कई प्यार भरे दिल अनभिव्यक्त ही कैसे समाज की तानाशाही की भेंट चढ़ जाते हैं उसका कच्चा चिट्ठा है!
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कहानी ने इतना उद्वेलित कर दिया है कि स्वयं को रोक नहीं पा रही हूँ! दरअसल कहानी वास्तविक जीवन में जो जो जैसे जैसे घटित होता जाता है और कई प्यार भरे दिल अनभिव्यक्त ही कैसे समाज की तानाशाही की भेंट चढ़ जाते हैं उसका कच्चा चिट्ठा है!
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फफोले, और-होठों से बाहर न आ सकने वाली पीड़ायें मेरे स्व को आविष्कृत नही होने देगा जिंदगी का यह रंगमंच पात्र भी हैं संवाद भी हैं, किंतु-अनभिव्यक्त वेदना की तरह आतुरता है आर्द्रता भी, लेकिन-अनूदित न हो सके गीत की तरह समाज में अस्तित्व ….
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इसी नयी सामग्री को प्राप्त करने के प्रयत्न में सप्तक इतने वर्षों तक अनुपलभ्य रहा: जिनके देर करने का डर था उनसे सहयोग तुरन्त मिला ; जिनकी अनुकूलता का भरोसा था उन्होंने ही सबसे देर की-आलस्य या उदासीनता के कारण भी, असमंजस के कारण भी, और शायद अनभिव्यक्त आक्रोश के कारण भी: जो पास रहे वे ही तो सबसे दूर रहे।
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तुम सभी बातें कह देते हो जो तुम जान पाते हो ; यह परमात्मा की बात के संबंध में गूंगे क्यों हो जाते हो ; कहीं ऐसा तो नहीं कि धोखा दे रहे हो ; जब सभी और ज्ञान अभिव्यक्त हो जाते हैं, तो यही ज्ञान अनभिव्यक्त क्यों रह जाता है ; यह ज्ञान ही न होगा ; या तो तुम धोखा दे रहे हो या खुद धोखे में पड़े हो।