ऐसे में मृतक के परिवार को किसी भी प्रकार का सम्बल प्रदान करने के लिये, ऐसी अवैध पत्नी को अनुकम्पा के आधार पर सरकारी नौकरी प्रदान करने से मृतक के परिवार को क्या हासिल होगा? यह भी गंभीर विचारणीय विषय है!
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अब दूसरी अवैध पत्नियों को सरकारी सेवा में रहे अपने अवैध मृतक पतियों के स्थान पर सरकारी नौकरी पाने के लिये केवल, पहली पत्नी की अनुमति (किसी भी तरीके से) लेनी होगी और उनको मिल जायेगी, अनुकम्पा के आधार पर सरकारी नौकरी।
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इस अवसर पर बेस्ट इन इन्डोर की ट्राॅफी पर प्रथम स्थान सिपाही कविता चैधरी ने, आउटडोर ट्राॅफी सिपाही आशा करांडे ने, बेस्ट इन ड्रील सिपाही लक्ष्मी शंखे ने, बेस्ट फायरर सिपाही कमलेश यादव ने, बेस्ट इन कम्पंशन अपोईन्टमंेट सिपाही शुकु उराव ने अपने पति की मृत्युपरान्त अनुकम्पा के आधार पर भर्ती के बाद ट्रेनिंग में अव्वल दर्जे पर रह कर प्राप्त किया।
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मेरे विचार से विपक्षीगण की आपत्ति इसलिए स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है कि मृतक के आश्रित को मृत्योपरान्त अनुकम्पा के आधार पर नौकरी दी गई है और यह मृतक आश्रित की स्वेच्छा पर निर्भर है कि वह नौकरी करे या न करे लेकिन अनुकम्पा के आधार पर दी गई नौकरी को मृतक की मोटर दुर्घटना में हुई मृत्यु उपरान्त आश्रित हानि की मद में समायोजित होना अथवा क्षतिपूर्ति की एवज में नहीं माना जा सकता।
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मेरे विचार से विपक्षीगण की आपत्ति इसलिए स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है कि मृतक के आश्रित को मृत्योपरान्त अनुकम्पा के आधार पर नौकरी दी गई है और यह मृतक आश्रित की स्वेच्छा पर निर्भर है कि वह नौकरी करे या न करे लेकिन अनुकम्पा के आधार पर दी गई नौकरी को मृतक की मोटर दुर्घटना में हुई मृत्यु उपरान्त आश्रित हानि की मद में समायोजित होना अथवा क्षतिपूर्ति की एवज में नहीं माना जा सकता।
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जब मंत्रीजी रेलवे संरक्षा एवं रेलवे संचालन से जुडे प्रावधानों को अंग्रेजी में बनाकर, अंग्रेजी नहीं जानने वालों पर जबरन थोपने वाले असली गुनेहगारों को भी सजा देनी की हिम्मत जुटा पायें, अन्यथा होगा ये कि आप रेल दुर्घटना को बचाने के पुरस्कार में मृतकों के परिजनों को रेलवे में नौकरी देंगी और आगे चलकर अंग्रेजी कानूनों का उल्लंघन करने पर, ऐसी अनुकम्पा के आधार पर भर्ती हुए रेलकर्मियों को कोई रेल अधिकारी नौकरी से निकाल देगा।