उपखंड (ग) एक नई उपधारा (८ख) अतः स्थापित करने के लिए है जिससे उपबंधकिया जा सके कि विनिधान मोक के रूप में कोई कटौती ऐसे निर्धारित की दशामें अनुज्ञात नहीं की जाएगी जिसने अधिनियम की धारा ३२ कख के अधीनअनुज्ञेय विनिधान निक्षेप लेखे के संबंध में अनुज्ञेय कटौती का दावा कियाहै.
32.
आदेष वर्तमान दाण्डिक अपील को अनुज्ञात करते हुये दाण्डिक वाद संख्या 126 / 08 राज्य बनाम अर्जुन मखलोगा मे सिविल जज (जूनियर डिवीजन)/न्यायिक मजिस्ट्रेट, नई टिहरी द्वारा उत्तर प्रदेष आबकारी अधिनियम, 1910 (यथा उत्तराखण्ड राज्य मे प्रवृत) की धारा 60; 3द्ध अपीलार्थी/अभियुक्त के अपराध मे पारित दोश सिद्धि एवं को दोश मुक्त किया जाता है।
33.
विद्यमान उपबंधों के अनुसार केंद्रीय सरकार राजपत्र में अधिसूचना द्वारायह निर्देश दे सकेगी कि अधिनियम की धारा ३२क के अधीन अनुज्ञेय कटौती ऐसीतारीख के पश्चात्, जो ऐसी अधिसूचना की तारीख से तीन वर्ष पहले की नहींहोगी जो विनिर्दिष्ट की जाए, अर्जित पोत या वायुयान या प्रतिष्ठापितमशीनरी या संयंत्र की बाबत अनुज्ञात नहीं की जाएगी.
34.
आदेश-6 नियम-17 सी0पी0सी0 के प्रोवीजो में यह प्राविधान दिया गया है कि विचारण प्रारम्भ होने के पश्चात संशोधन के लिए किसी आवेदन को तब तक अनुज्ञात नहीं किया जा सकता जब तक न्यायालय इस निर्णय पर न पहुंचे कि सम्यक तत्परता बरतने पर सम्बन्धित पक्षकार विचारण प्रारम्भ होने से पूर्व नहीं उठा सकता था।
35.
परंतु जहां कोई ऐसा सदस्य, निगम का कर्मचारी न बनने का और प्रतिनियुक्ति पर बने रहने का अपना आशय उपधारा (1) में विनिर्दिष्ट समय के भीतर प्रज्ञापित करता है वहां उसे ऐसे निबंधनों और शर्तों के अनुसार, जो विहित की जाएं, प्रतिनियुक्ति पर बने रहने के लिए अनुज्ञात किया जा सकेगा ।
36.
यह प्रश्न स्वयं बचाव-पक्ष द्वारा पूछा गया है जिसमें 4256 /-की बजाय दूसरे लोगों की चार रसीदों के 4220/-रू0 ही प्रकट किये गये, वहां अब बचाव-पक्ष को यह कहने के लिये अनुज्ञात नहीं किया जा सकता कि आरोपी चन्दाराम के पास से दूसरे व्यक्तियों की चार रसीदों के 4220/-रू0के बजाय 4256/-रू0 मिले थे।
37.
माता-पिता या संरक्षक या अन्य किसी विधि पूर्ण या विधि विरूद्ध हैसियत से वयस्क की देख-रेख करने वाला कोई भी व्यक्ति जो विवाह को दुष्प्रेरित करने के लिए कोई अन्य कार्य करेगा अथवा उसका अनुष्ठान किया जाना अनुज्ञात करेगा अथवा अनुष्ठान का निवारण करने में उपेक्षापूर्ण असफल रहेगा, वह सादा कारावास से और जुर्माने से दण्डनीय होगा।
38.
धारा 320 (5) दण्ड प्रक्रियां संहिता में यह प्राविधान है कि-श्जब अभियुक्त विचारणार्थ सुपुर्द कर दिया जाए या जब वह दोषसिद्ध कर दिया जाए और अपील लम्बित है, तब अपराध के लिये कोई शमन, यथास्थिति, उस न्यायालय की इजाजत के बिना अनुज्ञात न किया जायेगा जिसे वह सुर्पुद किया गया है, या जिसके समक्ष अपील सुनी जानी है।
39.
यदि कोई उद्घोषणा उस समय की जाती है जब लोक सभा का विघटन हो गया है अथवा लोक सभा का विघटन इसके अनुमोदन के लिए अनुज्ञात अवधि के भीतर हो जाता है और यदि इसे अनुमोदित करने वाला संकल्प राज्य सभा द्वारा अनुच्छेद 352, 356 और 360 के अधीन संविधान में विनिर्दिष्ट अवधि के भीतर पारित कर दिया जाता है, तब वह उद्घोषणा प्रभावी रहेगी।
40.
यदि कोई उद्घोषणा उस समय की जाती है जब लोक सभा का विघटन हो गया है अथवा लोक सभा का विघटन इसके अनुमोदन के लिए अनुज्ञात अवधि के भीतर हो जाता है और यदि इसे अनुमोदित करने वाला संकल्प राज्य सभा द्वारा अनुच्छेद 352, 356 और 360 के अधीन संविधान में विनिर्दिष्ट अवधि के भीतर पारित कर दिया जाता है, तब वह उद्घोषणा प्रभावी रहेगी।