‘मोहनदास ' जैसे दलित की त्रासद कथा में सामाजिक यथार्थ का इस प्रकार अनुपस्थित होना संभवतः यथार्थ के विकृतिकरण की उसी प्रवृत्ति का परिचायक है जो समस्याओं को एक रूपवादी-कलावादी नजरिए से देखती है और अभिजन रूचियों का पोषण करने में ही अपनी सार्थकता तलाश करती है।
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‘ मोहनदास ' जैसे दलित की त्रासद कथा में सामाजिक यथार्थ का इस प्रकार अनुपस्थित होना संभवतः यथार्थ के विकृतिकरण की उसी प्रवृत्ति का परिचायक है जो समस्याओं को एक रूपवादी-कलावादी नजरिए से देखती है और अभिजन रूचियों का पोषण करने में ही अपनी सार्थकता तलाश करती है।
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षपथ पर दिये अखण्डित साक्ष्य पर अविष्वास करने का कोई कारण पत्रावली पर उपलब्ध नही पाया जाता है जबकि इसके विपरीत प्रत्यर्थी के वर्तमान प्रकरण मे उपस्थित होने के पष्चात उसका अनुपस्थित होना यह दर्षित करता है कि याची के कथनो के विरूद्ध प्रत्यर्थी कथन करने का साहस नही कर सका।
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षपथ पर दिये गये अखण्डित साक्ष्य पर अविष्वास करने का कोई कारण पत्रावली पर उपलब्ध नही पाया जाता है जब कि इसके विपरीत प्रत्यर्थी के वर्तमान प्रकरण मे उपस्थित होने के पष्चात मुकदमे मे उसका अनुपस्थित होना यह दर्षित करता है कि प्रत्यर्थी अपने तर्कों को रखने का साहस ही नही कर सका।
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षपथ पर दिये गये अखण्डित साक्ष्य पर अविष्वास करने का कोई कारण पत्रावली पर उपलब्ध नही पाया जाता है जबकि इसके विपरीत प्रत्यर्थी के वर्तमान प्रकरण मे उपस्थित होने के पष्चात उसका अनुपस्थित होना यह दर्षित करता है कि याची के कथनों के विरूद्ध प्रत्यर्थी कोई कथन करने का साहस नही कर सका है।
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उन्हें बिना पूरी तरह से असहाय इन लोगों में से प्रत्येक के लिए एक पूरी तरह से कभी चिंतित राजनेताओं, जो अब पाया है खुद को एक सरकार है कि किया गया है “के लिए सूखी छोड़ दिया” अपने व्यापार में नेताओं के भीतर फंस द्वारा, द्वारा पर डाल खोज के बावजूद अनुपस्थित होना साबित करता है.
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इस से स्पष्ट होता है कि कुछ ऐसी स्थितियाँ, आचार और प्रावधान हैं जिनका दुआ के अंदर और दुआ करने वाले के अंदर पाया जाना ज़रूरी है, तथा कुछ रूकावटें और बाधायें हैं जो दुआ की पहुँच और उसकी स्वीकारता को रोक देती हैं जिनका दुआ करने वाले और दुआ के अंदर अनुपस्थित होना अनिवार्य है, तो जब यह चीज़ संपूर्ण रुप से पाई जायेगी तो दुआ भी क़बूल होगी।