| 31. | उपकार जैसा दूसरा कोई धर्म नहीं; अपकार जैसा दूसरा पाप नहीं
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| 32. | कौन किसका उपकार करता है, कौन किसका अपकार कर रहा है?
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| 33. | इस दृष्टि को धर, मूढ़ नर, नष्टात्म, रत अपकार में ||
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| 34. | अपकार करने वाले के प्रतिशोध की भावना जागृत हो जाती है।
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| 35. | अ.: राजन् यह उपकार ही हुआ अपकार कभी नहीं हुआ।
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| 36. | मन-वाणी या कर्म से किसी भी प्राणी का वह अपकार नहीं करता।
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| 37. | जो दूसरे का अपकार करता है उसका बड़ा अपकार अवश्य होता है।
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| 38. | जो दूसरे का अपकार करता है उसका बड़ा अपकार अवश्य होता है।
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| 39. | मन-वाणी या कर्म से किसी भी प्राणी का वह अपकार नहीं करता।
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| 40. | लोक के उपकार में हाथ डालें हम कभी क्यों भूलकर अपकार में
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