आइए जानते हैं कि दरअसल उन्होंने कहा क्या है...प्रख्यात पत्रकार और लेखक एम. जे. अकबर ने कहा कि देश के मुसलामानों को सुरक्षा का भय दिखाने वालों को नहीं बल्कि उनके विकस की बात करने वालों के पक्ष में अपना मत देना चाहिए।
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आइए जानते हैं कि दरअसल उन्होंने कहा क्या है... प्रख्यात पत्रकार और लेखक एम. जे. अकबर ने कहा कि देश के मुसलामानों को सुरक्षा का भय दिखाने वालों को नहीं बल्कि उनके विकस की बात करने वालों के पक्ष में अपना मत देना चाहिए।
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मेरी दृष्टि से तो ये सब काट-तराश बेकार-सी चीज है-मगर नहीं-मैं अपना मत नहीं दूँगा-पहले मैं यह जान लूँ कि फूलों के बारे में मालिक का क् या मत है? तभी अपना मत देना कुछ ' सेफ ' होगा।
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आप को मेरे मत से फरक नहीं पड़ेगा यह मैं जानती हूँ लेकिन अगर यही शीर्षक इन्हीं तर्कों के साथ अगर किसी पुरुष ब्लॉगर ने दिया होता क्या तब भी आप और आप के समर्थक उसे सहर्ष स्वीकारते? मुझे अपना मत देना था सो चुप नहीं न बैठ सकी.
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पटना में बिहार इंडस्ट्रीज एसोसियशन हॉल में आयोजित शाह मुश्ताक अहमद स्मृति व्याख्यान माला आर्थिक विकास एवं वंचित वर्ग पर अपने विचार व्यक्त करते हुए अकबर ने कहा कि देश के मुसलामानों को सुरक्षा का भय दिखाने वाले को नहीं बल्कि उनके विकास की बात करने वालों के पक्ष में अपना मत देना चाहिए।
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कोढ़ में खाज़ सरीखा हालात पैदा करने पर जाने क्यूँ भाजपा नेतृत्व आमादा है, भाजपा के रण नीतिकारों को यह कतई विस्मृत नहीं होना चाहिए कि इस वक़्त आम जनमानस जो कांग्रेस के खिलाफ है वो सिर्फ और सिर्फ नरेन्द्र मोदी की विकास परक, राष्ट्रवादी और कुशल प्रशासक छवि के कारण भाजपा को अपना मत देना चाहती है ।
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आप को मेरे मत से फरक नहीं पड़ेगा यह मैं जानती हूँ लेकिन अगर यही शीर्षक इन्हीं तर्कों के साथ अगर किसी पुरुष ब्लॉगर ने दिया होता क्या तब भी आप और आप के समर्थक उसे सहर्ष स्वीकारते? मुझे अपना मत देना था सो चुप नहीं न बैठ सकी.अगर इस का कोई और शीर्षक भी रखा जाता तब भी आप का सन्देश सब तक पहुँचता ही...
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मेरे देश वासिंययो हम सबको शांति से सोच समजकर अपना मत देना होगा | समाज के हर शिक्सित और असिस्क्कित मतदाता ओ को समज़ाना पड़ेगा तो ही ये मुमकिन है, नहीं तो सपने सपने हीं रहेंगे | सिर्फ़ कोमेंट से बात नहीं बनेगी | लोंगो मे जागृति लानी होगी | 60 साल अपने बड़े भाइयोने राज किया, अब हम कुछ करके दिखायेंगे | मोदि जि के साथ चलेंगे | सब साथ मिलके देश को और आगे तेज़ी से बढ़ाएंगे |
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कविता जी आप की चर्चा और सभी टिप्पणियां पढीं. परन्तु मेरी 'छोटी सी 'निरीह बुद्धि इस शीर्षक के तर्क को गले उतार नहीं पाई.आप को मेरे मत से फरक नहीं पड़ेगा यह मैं जानती हूँ लेकिन अगर यही शीर्षक इन्हीं तर्कों के साथ अगर किसी पुरुष ब्लॉगर ने दिया होता क्या तब भी आप और आप के समर्थक उसे सहर्ष स्वीकारते?मुझे अपना मत देना था सो चुप नहीं न बैठ सकी.अगर इस का कोई और शीर्षक भी रखा जाता तब भी आप का सन्देश सब तक पहुँचता ही..