दरअसल हमने अपने दिमाग में यह सोच बना ली है कि अगर हमे अंग्रेजी भाषा का ज्ञान नही है तो हम अनपढ़ दिखाई देंगे और अनपढ़ कहलायेंगे भी! ऐसा हम इसलिए नही सोचते क्योंकि विदेशी हमे ऐसा सोचने पर मजबूर करते हैं बल्कि ऐसा हम इसलिए सोचते हैं क्योंकि हमारे अपने देशवासी ही हमे ऐसा सोचने पर मजबूर करते हैं!
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क्या जापानियों को, या चीनियों को अपनी पारंपरिक वेश-भूषा पहनने में ऐसी शर्म आती होगी? क्या अरब देशों के बादशाह या फिर आम नागरिक अपनी भूषा को पहनने में शरमातें होंगे? क्या उन्हें अपनी वेश भूषा से किसी प्रकार कि व्यवसायिक हानि हुई? शायद नहीं मगर हमारे भारतीयों को इन सारी बाधाओं का सामना करना पड़ता है, उसके अपने देशवासी उसको ऐसे कपड़ों में देख उस का मखोल बनाना शुरू कर देतें हैं या फिर उसे “ असामान्य ” (ABNORMAL) का खिताब दे देतें हैं.