5. अपादान कारक संज्ञा के जिस रूप से एक वस्तु का दूसरी से अलग होना पाया जाए वह अपादान कारक कहलाता है।
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5. अपादान कारक संज्ञा के जिस रूप से एक वस्तु का दूसरी से अलग होना पाया जाए वह अपादान कारक कहलाता है।
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परन्तु अपादान का ' से ' इस अर्थ में नहीं आता, उसके ' से ' में अलग करने का भाव है।
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।तैं जनै: (तै: जनै:); कर्म, संप्रदान, अपादान और अधिकरण में प्राय: संबंध के मूल रूप में ही परसर्ग जोड़कर काम निकाला जाता है;
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परंपरागत हिंदी व्याकरण में और सर्वभाषा व्याकरण में भी अपादान के रूप में निम्नलिखित वाक्यों में ‘ से / from ' के प्रयोग की सार्वभौमिक प्रवृत्ति है.
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अपादान कारक उपचार के लिए इस रेडियोधर्मी आयोडीन के समस्थानिक का प्रयोग नैदानिक रेडियोआयोडीन (आयोडीन-123) की तुलना में अधिक शक्तिशाली होता है, जिसका जैविक अर्द्ध जीवन 8-13 घंटे होता है.
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अपादान कारक उपचार के लिए इस रेडियोधर्मी आयोडीन के समस्थानिक का प्रयोग नैदानिक रेडियोआयोडीन (आयोडीन-123) की तुलना में अधिक शक्तिशाली होता है, जिसका जैविक अर्द्ध जीवन 8-13 घंटे होता है.
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राजस्थानी की वाक्यरचनागत विशेषताओं में प्रमुख उक्तिवाचक क्रिया के कर्म के साथ संप्रदान कारक का प्रयोग है, जबकि हिन्दी में यहाँ ' करण या अपादान ' का प्रयोग देखा जाता है।
इन दो वाक्यों में ‘स्वास्थ्य के लिए ' और ‘गुरुजी को' संप्रदान कारक हैं।5. अपादान कारकसंज्ञा के जिस रूप से एक वस्तु का दूसरी से अलग होना पाया जाए वह अपादान कारक कहलाता है।