अब यह देखना है कि क्या पत्नी ने पति का अभित्याग कर दिया है और इस आधार पर पति विवाह विच्छेद की डिक्री पाने का अधिकारी है।
32.
इस प्रकार अभित्याग के लिए दो तथ्यों को सि़द्व होना आवश्यक है-1. बिना स्वीकृति के, एक पक्ष की इच्छा के विरूद्व, दूसरा पक्ष अलग रह रहा हो।
33.
इसमें यह कहा गया है कि अगर विवाह का एक पक्ष क्रोध में अचानक अस्थायी रूप से दूसरे पक्ष के साथ रहना छोड़ दे तो इसे अभित्याग नहीं माना जाएगा।
34.
अतः इन साक्ष्यों से भी यह स्पश्ट है कि प्रत्यर्थी ने याची का अभित्याग नही किया बल्कि याची के गलत व्यवहार के कारण ही प्रत्यर्थी अपने मायके मे रहने को बाध्य है।
35.
पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य से यह लगता है कि विपक्षी ने स्वयं प्रार्थिनी का अभित्याग कर रखा है और प्रार्थिनी व बच्चे को बुलाने का कोई सदभावना पूर्वक प्रयास नहीं किया है।
36.
याची द्वारा वर्तमान याचिका दिनॉक-12. 2.09 को प्रस्तुत की गई है जब कि याची के साक्ष्य के अनुसार माह सितम्बर 2005 से प्रत्यर्थी ने बिना किसी कारण के याची का अभित्याग किया है।
37.
माननीय उच्चतम न्यायालय ने अपनी नजीर विपिन चन्द ए. आई. आर 1957 एस. सी 176 में यह कहा है कि अभित्याग का अभिप्राय प्रत्येक मामले के तथ्यों एवं परिस्थितियों पर निर्भर करता है।
38.
याची द्वारा वर्तमान याचिका दिनॉक16. 07.09 को प्रस्तुत की गई है जब कि याची के साक्ष्य के अनुसार माह नवम्बर 2005 से प्रत्यर्थी ने बिना किसी बैध कारण के याची का अभित्याग किया है।
39.
निश्कर्श निस्तारण विवाद्यक संख्या-1 10-याची ने वर्तमान याचिका क्रूरता तथा अभित्याग के आधार पर हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13; 1द्ध धारा 8; प्-क) तथा 13; 1द्ध; प-बी) के अन्तर्गत प्रस्तुत किया है।
40.
यदि कोई पक्ष आचरण अथवा शब्दों द्वारा दूसरे पक्ष को छोड़ने के लिए बाध्य करता है, तो इस प्रकार बाध्य करने वाला पक्ष अभित्याग का स्वयं दोषी होगा, न कि घर छोडने वाला पक्ष।