किसी भी नवीन अभिलाक्षणिक विशेषता को आत्मसात करने के लिये अर्जित गुणों को ग्रहण करने की प्रक्रिया तभी आगे बढ़ सकती है, जब पहले से अंगीभूत कुछ गुणों का त्याग rejection किया जाये।
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लेनिन ने इस युग की अभिलाक्षणिक विशिष्टताओं को इस प्रकार सूत्रबद्ध किया: 1. माल के निर्यात के साथ-साथ पूँजी का निर्यात होना और इस प्रवृत्ति का अधिक महत्वपूर्ण बन जाना, 2.
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यदि किसी सीमित लम्बाई के ट्रान्समिशन लाइन को उसके अभिलाक्षणिक प्रतिबाधा के मान के बराबर प्रतिरोध से जोड़ दें तो शक्ति के स्रोत को यह लाइन एक अनन्त लम्बाई की लाइन जैसी ही प्रतीत होती है और इसमें संकेत का परावर्तन नहीं होता।
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यदि किसी सीमित लम्बाई के ट्रान्समिशन लाइन को उसके अभिलाक्षणिक प्रतिबाधा के मान के बराबर प्रतिरोध से जोड़ दें तो शक्ति के स्रोत को यह लाइन एक अनन्त लम्बाई की लाइन जैसी ही प्रतीत होती है और इसमें संकेत का परावर्तन नहीं होता।
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(). यदि किसी सीमित लम्बाई के ट्रान्समिशन लाइन को उसके अभिलाक्षणिक प्रतिबाधा के मान के बराबर प्रतिरोध से जोड़ दें तो शक्ति के स्रोत को यह लाइन एक अनन्त लम्बाई की लाइन जैसी ही प्रतीत होती है और इसमें संकेत का परावर्तन नहीं होता।