उन्हें अभिव्यंजनावादी एडवर्ड मुंख़ की तुलना में रोमांसवादी चित्रकार कास्पर डेविड फ्रेडरिक अधिक लुभाते हैं, जिनकी चित्रकृति ‘वांडरर ओवर ए सी ऑफ़ फ़ॉग' को उन्होंने अपनी फिल्म हार्ट ऑफ़ ग्लास में एक अविस्मरणीय बिम्ब के रूप में सजीव कर दिया था।
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1920-30 के दशक में जर्मन अभिव्यंजनावादी आंदोलन के दौरान डब्ल्यूएच म्यूर्नऊ और फ्रिट्ज़ लैंग की अगुवाई में जर्मन सिनेमा अपने उत्कर्ष की ओर बढ़ रहा था, किंतु नात्सी सर्वसत्तावाद के उदय के कारण यह कला आंदोलन अधबीच में ही समाप्त हो गया।
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अनुनाद पर मेरी पहली पोस्ट के रूप में प्रस्तुत है जर्मन अभिव्यंजनावादी कवि जार्ज हेइम (३ ० अक्तूबर १ ८८ ७-१ ६ जनवरी १ ९ १ २) की एक कविता........ अनुवाद मेरा किया हुआ है और अब इस पर आप सबकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा है।
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हरसोग अपनी कला संवेदना के विकास में अभिव्यंजनावद का देय ज़रूर स्वीकारते हैं (उन्होंने जर्मन अभिव्यंजनावादी फिल्मकार डब्ल्यूएच म्यूर्नऊ को आदरांजलि अर्पित करते उनकी फिल्म नोस्फ़ेरातु का रीमेक भी बनाया है), लेकिन हरसोग के भावबोध की निर्मिति जर्मन अभिव्यंजनावाद से अधिक जर्मन रोमांसवाद या वास्तव में उससे भी पूर्व के मध्ययुगीन प्रतीकों से हुई है।
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के दशक के आरम्भ तक कला में एक अमूर्त आन्दोलन के रूप में अतिसूक्ष्मवाद का उद्भव हुआ (जिसकी जड़ काज़िमिर मालेविच, बौहौस और पीट मोंड्रियन के रैखिकीय सारग्रहण में थी) जिसने संबंधपरक और व्यक्तिपरक चित्रकला, अमूर्त अभिव्यंजनावादी सतहों की जटिलता, और एक्शन पेंटिंग के क्षेत्र में मौजूद विवादात्मक कुशलता एवं भावनात्मक युगचेतना के विचार को त्याग दिया.
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1960 के दशक के आरम्भ तक कला में एक अमूर्त आन्दोलन के रूप में अतिसूक्ष्मवाद का उद्भव हुआ (जिसकी जड़ काज़िमिर मालेविच, बौहौस और पीट मोंड्रियन के रैखिकीय सारग्रहण में थी) जिसने संबंधपरक और व्यक्तिपरक चित्रकला, अमूर्त अभिव्यंजनावादी सतहों की जटिलता, और एक्शन पेंटिंग के क्षेत्र में मौजूद विवादात्मक कुशलता एवं भावनात्मक युगचेतना के विचार को त्याग दिया.
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के दशक के आरम्भ तक कला में एक अमूर्त आन्दोलन के रूप में अतिसूक्ष्मवाद का उद्भव हुआ (जिसकी जड़ काज़िमिर मालेविच, बौहौस और पीट मोंड्रियन के रैखिकीय सारग्रहण में थी) जिसने संबंधपरक और व्यक्तिपरक चित्रकला, अमूर्त अभिव्यंजनावादी सतहों की जटिलता, और एक्शन पेंटिंग के क्षेत्र में मौजूद विवादात्मक कुशलता एवं भावनात्मक युगचेतना के विचार को त्याग दिया.
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1960 के दशक के आरम्भ तक कला में एक अमूर्त आन्दोलन के रूप में अतिसूक्ष्मवाद का उद्भव हुआ (जिसकी जड़ काज़िमिर मालेविच, बौहौस और पीट मोंड्रियन के रैखिकीय सारग्रहण में थी) जिसने संबंधपरक और व्यक्तिपरक चित्रकला, अमूर्त अभिव्यंजनावादी सतहों की जटिलता, और एक्शन पेंटिंग के क्षेत्र में मौजूद विवादात्मक कुशलता एवं भावनात्मक युगचेतना के विचार को त्याग दिया.
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इन “आधुनिकतावादी” घटनाओं में 1908 में अर्नोल्ड शोएनबर्ग के सेकण्ड स्ट्रिंग क्वार्टेट अतान का अंत, 1903 में वैसिली कैंडिंस्की अभिव्यंजनावादी चित्रकलाओं का आरम्भ एवं 1911 में म्यूनिख में ब्लू राइडर समूह की स्थापना और उनकी पहली अमूर्त चित्रकला के साथ समाप्ति, और 1900 एवं 1910 के बीच के वर्षों में हेनरी मैटिस, पाब्लो पिकासो, जॉर्ज्स ब्रेक़ एवं अन्य के स्टूडियो से फौविज़्म का उत्थान एवं घनवाद का अविष्कार शामिल है.
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इन “आधुनिकतावादी” घटनाओं में 1908 में अर्नोल्ड शोएनबर्ग के सेकण्ड स्ट्रिंग क्वार्टेट अतान का अंत, 1903 में वैसिली कैंडिंस्की अभिव्यंजनावादी चित्रकलाओं का आरम्भ एवं 1911 में म्यूनिख में ब्लू राइडर समूह की स्थापना और उनकी पहली अमूर्त चित्रकला के साथ समाप्ति, और 1900 एवं 1910 के बीच के वर्षों में हेनरी मैटिस, पाब्लो पिकासो, जॉर्ज्स ब्रेक़ एवं अन्य के स्टूडियो से फौविज़्म का उत्थान एवं घनवाद का अविष्कार शामिल है.