कासनी की नजर एक बाहरी सैलानी की नजर नहीं है, बल्कि वे गांव की आबादी की तरफ से भी देखते हैं, इसलिए उनकी कविताओं में एक साथ इतने स्तर मौजूद रहते हैं कि पाठक को कुछ देर ठहरकर इन स्तरों को अलग-अलग करना और फिर समग्रता में देखना।
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राजनीति की ऊसर और पथरीली भूमि और साहित्य के सौम्य सागर में एक साथ विचरण करना समुद्र से गंगा-यमुना के पानी को अलग-अलग करना असंभव कार्य है, लेकिन उत्तराखंड के मुख्यमंत्री डा. निशंक इस भूमि को भी उर्वरा बना रहे हैं और सागर से मोती भी चुन रहे हैं।