देवनागरी व्यंजनों को हम प्राणत्व के आधार पर भी समझ सकते हैं, जैसे-प्रथम, तृतीय और पंचम व्यंजन अल्पप्राण और द्वितीय और चतुर्थ व्यंजन महाप्राण होता है।
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ध्यान दें कि महाप्राण ध्वनियों, जैसे ख, घ, फ, ध, आदि के लिये उसके अल्पप्राण चिन्ह के बाद superscript में h का निशान लगाया जाता है, जैसे:
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अर्थात् यह ध्वनिन तो पूर्णतः अघोष होती है न ही अल्पप्राण उदाहरणतः द्वयोष्ठ्य स्पर्श ध्वनियोंको ही लें तो जैसाकि इस चित्र में दिखाया गया है, प्रत्येक स्पर्श वर्ग मेंतीन-तीन स्वनिम होते हैं.
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अर्थात् यह ध्वनिन तो पूर्णतः अघोष होती है न ही अल्पप्राण उदाहरणतः द्वयोष्ठ्य स्पर्श ध्वनियोंको ही लें तो जैसाकि इस चित्र में दिखाया गया है, प्रत्येक स्पर्श वर्ग मेंतीन-तीन स्वनिम होते हैं.
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ध्यान दें कि महाप्राण ध्वनियों, जैसे ख, घ, फ, ध, आदि के लिये उसके अल्पप्राण चिन्ह के बाद superscript में h का निशान लगाया जाता है, जैसे:
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उदाहरण के लिए यदि आपको ‘ स्त्रियाँ ' लिखना है तो आप ‘ striyaa ^ ' टाइप करेंगे. हिंदी की यह विशेषता है कि इसमें अल्पप्राण और महाप्राण का युग्म साथ-साथ रहता है.
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प्रत्येक वर्ग मेंअघोष स्पर्श ध्वनि के साथ महाप्राणत्व अभिलक्षण अर्थ भेदक प्रकार्य करता है जबकिसघोष स्पर्श ध्वनियों में एक ध्वनि रूप पूर्णतः अल्पप्राण है और दूसरा कुछमहाप्राणत्व एवं बहुत कम घोषत्व के साथ उच्चरित किया जाता है.
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प्रत्येक वर्ग मेंअघोष स्पर्श ध्वनि के साथ महाप्राणत्व अभिलक्षण अर्थ भेदक प्रकार्य करता है जबकिसघोष स्पर्श ध्वनियों में एक ध्वनि रूप पूर्णतः अल्पप्राण है और दूसरा कुछमहाप्राणत्व एवं बहुत कम घोषत्व के साथ उच्चरित किया जाता है.
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सघोष् अल्पप्राण स्वन ब् के साथ ही एक सहस्वन के रूपमें ब् के साथ परिपूरक वितरण में प्रकार्य करते हुए जो और एक ध्वनि है उसे अघोषअल्पप्राण स्पर्श के ही साथ चिन्ह (',) लगाकर दिखाया जा सकता है.
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सघोष् अल्पप्राण स्वन ब् के साथ ही एक सहस्वन के रूपमें ब् के साथ परिपूरक वितरण में प्रकार्य करते हुए जो और एक ध्वनि है उसे अघोषअल्पप्राण स्पर्श के ही साथ चिन्ह (',) लगाकर दिखाया जा सकता है.