नाड़ी परीक्षण से तथा मौजूद लक्षणों से समझ में आ गया कि किसी भूत-प्रेत ने नहीं पकड़ रखा है बल्कि अवटु ग्रन्थि या थायराइड की हीनता के कारण ऐसा है ।
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आयोडिन की कमी से गर्दन के नीचे अवटु ग्रंथि की सूजन (गलगंड) हो सकती है और हार्मोन का उत्पादन बन्द हो सकता है जिससे शरीर के सभीसंस्थान अव्यवस्थित हो सकते हैं।
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इसकी कमी या मात्रा में फर्क हो सकता है जिसके कारण अनुपयुक्त थायरॉक्सिन का निर्माण होता है और जो प्रमुख अवटु हार्मोन्स होता है उसके कारण गले पर अवटुग्रन्थि बढ़ जाती है।
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यह औषधि अन्त: स्त्रावी ग्रंथियों में विशेष रूप से अवटु (थाइरोईड) और अधिवृक्क ग्रिन्थ पर प्रभाव डालती है जिसके परिणाम स्वरूप तेज स्नायुओं का दर्द, ऐंठन सा दर्द तथा गोली लगने जैसा दर्द आदि दूर होता है।
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उदाहरण के लिए, नमक में आयोडीन की अनुवृद्धि कुछ अवटु (थाइराइड) ग्रंथि की समस्याओं (जैसे कि गलगंड) को रोकने में सहायता करती है, भोजन में मिलाया गया फोलिक अम्ल विशेष जन्म दोषों से बचने में सहायता कर सकता है, और अतिरिक्त लौह लौह न्यूनता की रक्ताल्पता को रोकने में सहायता कर सकता है।
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इसमें वाहिकाविहीन या अन्तःस्रावी ग्रन्थियां (ductless or endocrine glands)-पीयूष ग्रन्थि (pituitary gland), अवटु ग्रन्थि (Thyroid gland), परावटु ग्रन्थियां (Parathyroid gland), अधिवृक्क ग्रन्थियां (Adrenal gland), अग्नाशय के लैंगरहैन्स की द्वीपिकाएं (islets of langerhans of the pancreas), जनन ग्रन्थियां (gonads) पुरूषों में शुक्र ग्रन्थियां (testes) तथा स्त्रियों में डिम्ब ग्रन्थियां (ovaries) होती है।