| 31. | यह क्षति इतनी इकट्ठी हो जाती है कि उसके फलस्वरूप अवयवी निष्प्राण होकर अलग जा गिरता है।
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| 32. | इस प्रकार प्रतिवर्त (अवयवी की बाह्य उद्दीपन से संबंधित नियमित प्रतिक्रिया) की संकल्पना उत्पन्न हुई।
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| 33. | अपने अवयवी रंगों में विभक्त होने की क्रिया दूसरी बार होने वाले अपवर्तन के फलस्वरूप नहीं होती है।
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| 34. | अत: बौद्ध दार्शनिक के समक्ष अवयवी को उपपन्न करने के लिए नैय्यायिकों ने सफल प्रयास किया है।
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| 35. | इस प्रकार से श्वेत प्रकाश का अपने अवयवी रंगों में विभक्त होने की क्रिया को वर्ण विक्षेपण कहते हैं।
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| 36. | इस प्रकार से श्वेत प्रकाश का अपने अवयवी रंगों में विभक्त होने की क्रिया को वर्ण विक्षेपण कहते हैं।
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| 37. | प्रसंविदा के परिणामस्वरूप जिस राज्य की उत्पत्ति होती है वह एक नैतिक अवयवी है जिसका अपना स्वतंत्र संकल्प होता है।
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| 38. | उस क्रिया से उसके अवयवों में विभाग होता है, विभाग से अवयवी (घट) के आरंभक संयोगों का नाश होता है।
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| 39. | प्रसंविदा के परिणामस्वरूप जिस राज्य की उत्पत्ति होती है वह एक नैतिक अवयवी है जिसका अपना स्वतंत्र संकल्प होता है।
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| 40. | उस क्रिया से उसके अवयवों में विभाग होता है, विभाग से अवयवी (घट) के आरंभक संयोगों का नाश होता है।
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