| 31. | अविद्या ने ही यह द्वैध उत्पन्न किया है।
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| 32. | सकुचेगी इस भांति अविद्या, विकसेगा गुरू ग्यान ||
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| 33. | दिशा तो विद्या / अविद्या से तय होगी।
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| 34. | जीवात्मा की हृदय की गांठे, अविद्या की खुलें,
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| 35. | शंकर इसी माया को अविद्या नाम देते हैं।
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| 36. | इसी अविद्या से प्राणियों की उत्पत्ति हुई ।
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| 37. | उनका तात्पर्य केवल अविद्या की निवृत्ति में है।
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| 38. | जड़ वर्ग क्षर चेतन अमर, विद्या, अविद्या नाम है,
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| 39. | अंग अविद्या ऊपजै, जाय हिये ते नाम।
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| 40. | 1 विद्या का बाधा, और अविद्या का सहारे
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