वस्तुत:, यही यांत्रिक ऊर्जा, विद्युत् ऊर्जा के रूप में परिवर्तित होती है और ऊर्जा अविनाशिता नियम का प्रतिपादन करती है।
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हमारी परम्परा में वैशेषिक पद्धति में कणाद ऋषि ने अविनाशिता का सिद्धांत प्रतिपादन करते हुए पदार्थ के सूक्ष्म कणों को परमाणु नाम दिया।
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जितना महत्त्व द्रव्य की अविनाशिता के इस नियम का था, उतना ही महत्त्व सभी ऊपर बताए गए आवर्ती नियम का भी हुआ।
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द्रब्य की अविनाशिता का नियम • उर्जा संरक्षण का नियम • संवेग संरक्षण का नियम • न्यूटन के गति के नियम • न्यूटन का गुरु
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इनकी संख्या ५ है. ये हैं-(१) द्रव्य की अविनाशिता या द्रव्यमान संरक्षण (ळत् ओङ् इन्डेस्ट्रुच्टिबिलिट्य् ओङ्मट्टेर् ओर् चोन्सेर्वटिओन् ओङ् मस्स्)-इसे सर्वप्रथम फ्रांसीसी वैज्ञानिक लैवोजिए नेसिद्ध किया.
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इन समस्याओं को सुलझानेमें बहुत से ऐसे आधारभूत तथ्यों की गणना की जाती है, जैसे ऊर्जा अविनाशिता, द्रव्यमान का संरक्षण, परिवलन का संरक्षण इत्यादि।
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ध्यान रहे कि ऊर्जा के अविनाशिता के नियम के अनुसार ऊर्जा का निर्माण और विनाश असंभव है, केवल एक रूप से दूसरे रूप मे परिवर्तन संभव है।
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ऊर्जा की अविनाशिता का नियम भूल गये? ऊर्जा का निर्माण और विनाश असंभव है, उसे केवल एक रूप से दूसरे रूप मे बदला जा सकता है।
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ऊर्जा की अविनाशिता का नियम भूल गये? ऊर्जा का निर्माण और विनाश असंभव है, उसे केवल एक रूप से दूसरे रूप मे बदला जा सकता है।
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ऊर्जा की अविनाशिता के नियम के अनुसार ऊर्जा का निर्माण और विनाश असंभव है, उसे केवल एक रूप से दूसरे रूप मे परिवर्तित किया जा सकता है।