शिक्षण एक कला है यह कला जन्मजात गुणों से युक्त गुरु सहज ढंग से निभा लेता है दूसरी ओर अव्यस्थित चीजों, पाठ्य वस्तुओं, पाठ्यक्रमों को निर्धारित नियमानुसार विधि सम्मत समय पर पूर्ण कर पाना कहां सम्भव बन पड़ता है तब नये नियमों का निर्धारण कर लक्ष्य की प्राप्ति...
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बहुत सोचा और कमियां होंगी लेकिन जितनी समझ आई वो दर्ज कर दी अब इन कमियों और खूबियों की तूलना की जाए तो बेशक खूबियों का पलड़ा भारी होगा और जैसा अरविंद ने कहा कि हममें लाख कमियां हैं लकिन हमारी नीयत साफ है हम बहुत अव्यस्थित हैं लेकिन हमारा लक्ष्य साफ है।
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आधुनिक पुस्तकालय विज्ञान पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान कहलाता है क्यूँ की यह केवल पुस्तकों के अर्जन, प्रस्तुतीकरण, वर्गीकरण, प्रसुचीकरण, फलक व्यस्थापन तक ही सीमित नहीं है क्यूँ की इसके अंतर्गत सूचना की खोज, प्राप्ति, संसाधन, सम्प्रेषण, तथा पुनर्प्राप्ति भी सम्मिलित है॥ अब यह विषय सूचना संचार प्रोद्योगिकी के व्यापक आधार पर अव्यस्थित है.