इसे इस तरह कह सकते हैं कि अष्टबाहु अपने अगले छह टेंटेकल को हाथ और सबसे पीछे वाले दो टेंटेकल को पैर की तरह इस्तेमाल करता है।
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तैरते समय अष्टबाहु अपने कीप से मुंह से बड़े बल से पानी को बाहर फेंकता हैं और इसी से जेट विमान की तरह पीछे की ओर चल पाता है।
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तैरते समय अष्टबाहु अपने कीप से मुंह से बड़े बल से पानी को बाहर फेंकता हैं और इसी से जेट विमान की तरह पीछे की ओर चल पाता है।
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मैन्ड्रेक की अमर कथाएं-तब हम वाराणसी से छपने वाले अख़बार आज में पढ़ते थे “मंदरीक ” को और पहलवान था लोथार का नाम और नारदा मंदरीक के की मंगेतर! अष्टांक था उचित ही अष्टबाहु! एक पूरा दिक्काल याद दिलाने के लिए आभार!
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मैन्ड्रेक की अमर कथाएं-तब हम वाराणसी से छपने वाले अख़बार आज में पढ़ते थे “ मंदरीक ” को और पहलवान था लोथार का नाम और नारदा मंदरीक के की मंगेतर! अष्टांक था उचित ही अष्टबाहु! एक पूरा दिक्काल याद दिलाने के लिए आभार!