| 31. | [1] दिनकर के अनुसार तथागत बुद्ध द्वारा घोषित चार आर्य सत्य तथा अष्टांगिक मार्ग जीवन में उतारने योग्य हैं।
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| 32. | उन्होंने अष्टांगिक मार्ग का सुझाव दिया जिसका पालन करके मनुष्य पुनर्जन्म के बंधन से दूर हो सकता है-
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| 33. | तथागत ने अपने अन्तिम प्रवचन में कहा, “ सुभद्र! तथागत के धम्म-विनय में आर्य अष्टांगिक मार्ग है.
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| 34. | अष्टांग मार्ग या अष्टांगिक मार्ग महात्मा बुद्ध द्वारा प्रतिपादित आठ उपदेश हैं जो मानव-विकास एवं सामाजिक विकास में सहायक हैं।
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| 35. | अतः बौद्ध धम्म का पंचशील और अष्टांगिक मार्ग आज भी विश्व में शांति और कल्याण हेतु बहुत सार्थक है.
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| 36. | वह दुख निरोध गामिनी, प्रतिपदा परम सत्य, “ आर्य अष्टांगिक मार्ग ” है. ” वह इस प्रकार है.
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| 37. | उनपर ही विश्वास किया जाए तो बुद्ध के सुखी जीवन के “ आर्य अष्टांगिक मार्ग ” का प्रयोजन ही नहीं रहता?
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| 38. | आठ तीले () अष्टांगिक मार्ग दर्शातें हैं जो समस्त विश्व ने बुद्धिस्म के चिन्ह के रूम में स्वीकृत है ३.
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| 39. | धारणा या पैराडाइम को संविर्द्धत करने के लिए बुद्ध के अष्टांगिक मार्ग के तहत उल्लिखित सम्यक् दृष्टि का सहारा लिया जा सकता है।
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| 40. | जहां जरुरी है वहा शांति, क्रांति का मार्ग बुद्ध का “ आर्य अष्टांगिक मार्ग ” ही शिक्षा देता है, पंचशील नही.
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