मनुष्य की आंतरिक खोज और बाह्य खोज अर्थात आधुनिक विज्ञान की खोज दोनों से यह तो सिद्ध हो चुका है कि मृत्यु के पश्चात भी मनुष्य का अस्तित्व होता है और यदि मृत्यु के बाद उसका अस्तित्व है, तो जन्म से पूर्व भी उसका अस्तित्व होना ही चाहिए।
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इतना ही नहीं, तो ‘ दि ग्राऊंड पेनिट्रेटिंग रडार सव्र्हे (जी. आर. पी. एस.)-इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्देश पर हाल ही में (जनवरी 2003) किया गया वैज्ञानिक सर्वेक्षण-उसने उस विवाद्य ढाँचे के नीचे भवन का अस्तित्व होना साबित कर दिया है ।
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बहुत सही कहा आप ने आज ज़रूरत भी इसी की है कि कविताएं किसी भी रस में लिखी जाएं उन का अपना अस्तित्व होना चाहिये, जो कविताएं समाज का कुछ कल्याण न कर पाएं उन का होने न होने का कोई मतलब नहीं,कवि की सृजनात्मकता भी इसी में प्रदर्शित होती है कि वो कुछ ऐसा लिखे जो सब से अलग तरीक़े से संदेश प्रेषित कर सके और अपनी सार्थकता सिद्ध कर सके सार्थक कविता