| 31. | वासना, तृष्णा और अहंता ही अतृप्त रहते हैं ।।
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| 32. | हमारी जो अहंता, ममता और वासना है वह जल जाए।
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| 33. | इन्द्रियाँ भी अहंता से स्फुरती हैं।
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| 34. | देह की अहंता मिटते ही जाति की संकीर्णता मिट जाएगी।
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| 35. | तू अहंता हो गया पुत्र! तू अरिहन्त हो गया।
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| 36. | सच्चा ले पकड़, ममता अहंता
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| 37. | यहाँ अहंता को प्रारम्भ से ही निराश होना पड़ता है।
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| 38. | देह की अहंता मिटते ही जाति की संकीर्णता मिट जाएगी।
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| 39. | हमारी जो अहंता, ममता और वासना है वह जल जाय।
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| 40. | विलासिता और अहंता से हाथ रोकें।
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