सिर, हाथ, कटि, वक्ष, पार्श्व, और चरण द्वारा किया जानेवाला अभिनय या आंगिक अभिनय कहलाता है और आँख, भौंह, अधर, कपोल और ठोढ़ी से किया हुआ मुखज अभिनय, उपांग अभिनय कहलाता है।
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आज बैकग्राउण्ड म्यूजिक, स्पेशल इफेक्ट्स, सराउण्ड साउण्ड और विविध कैमरा तकनीकों की मौजूदगी में दिखाई देने वाले अभिनेता के सिर्फ़ आंगिक अभिनय पर ध्यान दे पाना आसान नहीं रहा है।
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सिर, हाथ, कटि, वक्ष, पार्श्व, और चरण द्वारा किया जानेवाला अभिनय या आंगिक अभिनय कहलाता है और आँख, भौंह, अधर, कपोल और ठोढ़ी से किया हुआ मुखज अभिनय, उपांग अभिनय कहलाता है।
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आंगिक अभिनय में तेरह प्रकार का संयुक्त हस्त अभिनय, चौबीस प्रकार का असंयुक्त हस्त अभिनय, चौंसठ प्रकार का नृत्त हस्त का अभिनय और चार प्रकार का हाथ के कारण का अभिनय बताया गया है।
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आंगिक अभिनय में तेरह प्रकार का संयुक्त हस्त अभिनय, चौबीस प्रकार का असंयुक्त हस्त अभिनय, चौंसठ प्रकार का नृत्त हस्त का अभिनय और चार प्रकार का हाथ के कारण का अभिनय बताया गया है।
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शरीर अथवा आंगिक अभिनय में सिर के तरह, दृष्टि के छत्तीस, आँख के तारों के नौ, पुट के नौ, भौंहों के सात, नाक के छह, कपोल के छह, अधर के छह और ठोढ़ी के आठ अभिनय होते हैं।
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शरीर अथवा आंगिक अभिनय में सिर के तरह, दृष्टि के छत्तीस, आँख के तारों के नौ, पुट के नौ, भौंहों के सात, नाक के छह, कपोल के छह, अधर के छह और ठोढ़ी के आठ अभिनय होते हैं।
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इसमें स्वरा ने संपूर्ण अभिनय किया यानी अपने आंगिक अभिनय के साथ ही उन्होंने जिस तरह से संवादों में छिपे आवेगों, तनावों के साथ ही खुशी और दुःख के भावों को अपने अभिनय कौशल से इस तरह अभिव्यक्त किया कि संवाद जीवंत होकर दर्शकों को छू गए।
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अब ज़रा सोचिये कि उस वक़्त में, जबकि फिल्मों में आवाज़ भी नहीं हुआ करती थी, तब कहानी के एक-एक भाव को महज़ आंगिक अभिनय के ज़रिये ही जीवंत करना अभिनेताओं के लिए और उसका बेहतरीन ढंग से फ़िल्मांकन करना फ़िल्मकारों के लिए कितनी बड़ी चुनौती होती होगी।
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फ्रांस का साहित्यकार जहाँ बातचीत में सदैव दूसरे को चमत्कृत करने, प्रभाव डालने, वाचिक और आंगिक अभिनय द्वारा मुग्ध और अभिभूत करने में यत्नशील रहता है, स्वीडन का लेखक वहाँ ग्रहण करने, चुपचाप बैठकर या सागर-तट अथवा वन-खंडी में घूमते हुए चिंतन करने का अभ्यासी है।