पूर्व राष्ट्रपति अवकाश ग्रहण से पूर्व दयालबाग आगरा ' राधास्वामी सत्संग ' में भाग लेने आये थे तो पूर्व प्रधानमंत्री श्री नरसिंघा राव आगरा के आंवल खेडा में आचार्य श्रीराम शर्मा के दामाद श्री प्रणव पांड्या के बुलावे पर उनके कार्यक्रम में भाग लेने आये थे.
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आगरा । बहुजन समाज पार्टी के तत्वाधावन में आंवल खेड़ा में आयोजित क्षत्रीय समाज सम्मेलन का मंच ही उस समय चरमरागया जब कि क्षेत्र के समाज से संबधित प्रमुखजन उत्साहित हो एक साथ मंच पर ही नहीं चढ़ गये वरन् नारेवाजी के साथ उत्साह का प्रदर्शन भी करडाला।...
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होते हैं, यह लघु इम्मयूनोग्लोबुलिन आंवल को पार कर भ्रूण की लाल रक्त कोशिकाओं मे रक्त अपघटन (हीमोलाइसिस) कर सकते है जो नवजात शिशु मे हीमोलाइटिक रोग का कारण बन सकता है, इस रोग के कारण शिशु के रक्त मे लाल रक्त कोशिकाओं की कमी हो जाती है जो सामान्य से लेकर गंभीर हो सकती है।
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इसकी ओर संकेत करते हुए कवि कहते हैं कि ” गर्भ में पलता शिशु / अपने मूल अस्तित्व अंड को छोड़ता हुआ / आंवल में लिपट कर जकड़ा / सांसों को लेता और छोड़ता हुआ / सृष् टि के रहस्य को जानने आतुर / प्रयास में / अपने अस्तित्व को भूल / जब मारा जाता है / गर्भ के भीतर / जीवन रक्षकों के द्वारा।
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बच्चे का आंवल गर्भाशय के मुख पर लगा हो, जिससे प्रसव शुरू होने पर रक्तस्राव होने की आशंका हो, प्रसव शुरू हो जाए और बच्चा पेट में आड़ा-तिरछा हो, प्रसव शुरू हो जाए, पानी बह जाए और फि र गर्भाशय संकुचन बन्द हो जाए या फि र प्रसव पूर्व या उसके दौरान गर्भस्थ शिशु की किसी कारण से स्थिति नाजुक हो जाए।
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कभी कभी यह मातृ प्रतिपिंड इम्मयूनोग्लोबुलिन जी (IgG) होते हैं, यह लघु इम्मयूनोग्लोबुलिन आंवल को पार कर भ्रूण की लाल रक्त कोशिकाओं मे रक्त अपघटन (हीमोलाइसिस) कर सकते है जो नवजात शिशु मे हीमोलाइटिक रोग का कारण बन सकता है, इस रोग के कारण शिशु के रक्त मे लाल रक्त कोशिकाओं की कमी हो जाती है जो सामान्य से लेकर गंभीर हो सकती है।
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इससे गर्भस्थ शिशु के विकास, परिपक्वता, हृदय की गति व शारीरिक हलचल आदि की जानकारी तो मिलती ही है, साथ ही कई जोखिमपूर्ण स्थितियों जैसे आंवल (प्लेसेंटा) का शिशु की गर्दन में फंदे के रूप में लिपटना या आंवल का अपने स्थान से खिसक जाना, गर्भाशय के पानी (एम्नियोटिक फ्लूड) जिसमें शिशु सकुशल रहता है, का सूख जाना, कम होना आदि का भी समय रहते पता लगाकर जच्चा व बच्चा दोनों के प्राण बचाए जा सकते हैं।
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इससे गर्भस्थ शिशु के विकास, परिपक्वता, हृदय की गति व शारीरिक हलचल आदि की जानकारी तो मिलती ही है, साथ ही कई जोखिमपूर्ण स्थितियों जैसे आंवल (प्लेसेंटा) का शिशु की गर्दन में फंदे के रूप में लिपटना या आंवल का अपने स्थान से खिसक जाना, गर्भाशय के पानी (एम्नियोटिक फ्लूड) जिसमें शिशु सकुशल रहता है, का सूख जाना, कम होना आदि का भी समय रहते पता लगाकर जच्चा व बच्चा दोनों के प्राण बचाए जा सकते हैं।
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विशेष कारण • बहुमूल्य गर्भ • दीर्ध एवं विषम प्रसव • विपत्ति में शिशु (फीटल डिस्ट्रस) • विपत्ति में माता (मैटर्नल डिस्ट्रस) • समस्या जैसे प्री एकलम्पसिया(अधिक रक्तचाप), हर्पिस • आपत्ति जैसे कि नाल का उतरना(कौर्ड प्रोलैप्स), उदर पर चीर पड़ना • एक से अधिक गर्भ • अस्वाभाविक गर्भस्थिति • विफल गर्भ प्रवेशन • सहायक विफल प्रसव (फेल्ड इन्स्ट्रूमेन्टल डेलिवरी) • बड़ा शिशु • आंवल संबंधित त्रुटि • नाल संबंधित त्रुटि • संविदागत(कोन्ट्राक्टड) पेल्विस जैसे जैसे चिकित्सा ज्ञान ने प्रगति करी है,वैसे वैसे सीज़ेरियन सुरक्षित होता गया है।