रेलवे सुरक्षा बल के दफ्तर पर पथराव, प्रदर्शन और कब्जा कर हथियार लूट ले जाना, जीआरपी थानाधिकारी की जीप को आग लगा देना आजादी के आन्दोलन सरीका सा नजारा था।
32.
कुछ रुक कर कहना शुरु किया-” बसी हुई बस्तियों को उजाड़ देना, खड़ी फसल में आग लगा देना और शोषण, उत्पीड़न का चक्र चलाना, इसी का नाम क्रूरता है ।
33.
ऐसा लगता है दुःख भी आरक्षित है केवल गरीबो के लिए किसी इंसान की दो टाँगे इस तरह से तोड़ देना के वो चल न पाए ओर फिर उस शैम्बर में आग लगा देना ये किसी भी मजदूर वाद का हिस्सा नहीं है.
34.
चोरी, डकैती, हत्या, ढोर भगा ले जाना, धरकोशवा बन बच्चों को उठा लेना, चन्द आनों के लिए खड़ी फसल को आग लगा देना, रातो रात धान गेहूँ काट इस गाँव से उस गाँव पहुँचा देना...
35.
ऐ ऊपर वाले तू मेरी दुआओं का बस एक सिला देना, मै ये नही कहता की मुझको एक बार फिर से जिला देना, जब मौत आये तो बस दुनिया वालों तुम कलम की चिता बना देना मेरी गजलों के साथ कुछ खाली पन्ने रख, मेरी चिता को आग लगा देना....
36.
प्रदेश में कोई सरकार नाम की चीज है भी या नहीं? हिंसा में सीओ समेत तीन लोगों की संघर्ष में मौत होना, क्षेत्राधिकारी का रिवाल्वर लूट ले जाना, एक बस्ती में दिन दहाड़े आग लगा देना तथा कई लोगों का घायल हो जाना यह दर्शाता है कि यह संघर्ष कई घंटों तक चला तथा हिंसा के ताण्डव पर नियंत्रण नहीं किया जा सका।
37.
प्रदेश में कोई सरकार नाम की चीज है भी या नहीं? हिंसा में सी 0 ओ 0 समेत तीन लोगों की संघर्ष में मौत होना, क्षेत्राधिकारी का रिवाल्वर लूट ले जाना, एक बस्ती में दिन दहाड़े आग लगा देना तथा कई लोगों का घायल हो जाना यह दर्शाता है कि यह संघर्ष कई घंटों तक चला तथा हिंसा के ताण्डव पर नियंत्रण नहीं किया जा सका।