श्री बलराम की कहानी ‘ सबक ' श्री प्रदीप पंत की ‘ कसाई, ' श्री राजेन्द्र परदेसी की ‘ जजिया, ' श्री जयन्त की ‘ आत्मजा, ' एवं अन्य सभी कहानियां श्रेष्ठ हैं।
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पत्नी की बेरुखी देखकर वह कुछ दिनों बाद बच्ची को अनाथालय ले जाना चाहता है, किन्तु पत्नी इतने समय में उसके प्रति ममतालु हो जाती है और उसे आत्मजा कहकर अनाथालय नहीं ले जाने देती।
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इसी प्रकार कुलज, जलज, वंशज, पूर्वज, आत्मज, आत्मजा: अण्डज, उदभिज आदि अन्य शब्दों को देखें इनसे सिद्घ होता है कि जकार जन्म के अर्थों को ही प्रकट करता है।
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वे उसी से आरंभ हुए, उन के स्वर से लग रहा था कि आत्मजा ने उन्हें जो सम्मान दिया था उस के स्नेह से उत्पन्न आह्लाद उन्हें रुला देगा, जिसे वे जबरन रोके हुए थे।
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अन्तत: आशधीर ने वृन्दावन के समीप स्थित एक छोटे से गाँव राजपुर के गंगाधर ब्राह्मण की आत्मजा से विवाह किया, जिसने सं0 1441 वि0 के भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को हरिदास को जन्म दिया।
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अन्तत: आशधीर ने वृन्दावन के समीप स्थित एक छोटे से गाँव राजपुर के गंगाधर ब्राह्मण की आत्मजा से विवाह किया, जिसने संवत 1441 विक्रमी के भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को हरिदास को जन्म दिया।
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और करूँगी क्या कहकर मैं शमित कुतुहल को भी? मैं अदेह कल्पना, मुझे तुम देह मान बैठे हो ; मैं अदृश्य, तुम दृश्य देख कर मुझको समझ रहे हो सागर की आत्मजा, मानसिक तनया नारायण की.
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रविदास मेहता की ‘ आदि मानव ', राजेन्द्र परदेसी की ‘ जजिया ', ‘ जयन्त की ‘ आत्मजा ', रमाकांत क्षितिज की ‘ एक और गया ', श्याम सुन्दर चौधरी की ‘ दूर होते हुए भी ', श्याम कुमार पोकरा की ‘ छोटी सी खुशी ', रणीराम गढग़ाली की-‘
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कवि क्या किसी ने भी उसकी आवाज़ कभी नहीं सुनी थी...बातों का जवाब वो पलकें झपका के ही देती थी...हाँ भ्रम जरूर होता था...पूर्णिमा की उजास भरी रातों में जब चांदनी उतरती थी तो उसके एक पैर की पायल का घुँघरू मौन रहने की आज्ञा की अवहेलना कर देता था...कवि को लगता था की बेटी के लिए आत्मजा कितना सही शब्द है, वो चाँद की आत्मा से ही जन्मी थी.
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रिश्तों और आकाश से बरसती कड़ाके की ठंड को तन मन पर ओढ़े, अपने ही आँसुओं में मानो जम से गए थे वह और उनकी काया की काल कोठरी में भटकती चेतना, बार बार बस वही एक असह्र सवाल पूछे जा रही थी उनसे, तो क्या मनु भी न समझ पाई उन्हें और उनकी सोच को-उनके अपने शरीर का ही नहीं, मन और आत्मा का भी अभिन्न हिस्सा? उनकी अपनी आत्मजा मनु के लिए भी वह औरों की तरह पराए ही थे-एक पहेली ही थे!