| 31. | आत्मा एवही आम्तमनो बंधु:, आत्मा एव रिपु: आत्मन: ।
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| 32. | प्रिय आत्मन, हमने पिछले सत्रों में आपके काफ़ी प्रश्नों के उत्तार दिये हैं.
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| 33. | ओशो ‘ मेरे प्रिय आत्मन! ' कहकर उसमें क्रीमी लेयर डाल देते हैं।
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| 34. | प्रिय आत्मन, आजकल हमारे कुंभ मेला आश्रम मे दिन रात अखंड प्रवचन जारी हैं.
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| 35. | आप मेरे आत्मन हैं, अपने हैं, इसलिए शेयर कर रहा हूँ.
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| 36. | कहा भी है, कि--“ आत्मन प्रतिकूलानि परेषा न समाचरेत ”.
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| 37. | जैसा कि प्राचीन आचार्यों ने स्वीकार किया है काव्य का सार या आत्मन रस
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| 38. | अपने आत्मन पर जीत प्राप्त किया, सरदी गरमी, सुख दुख तथा मान अपमान में
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| 39. | अन्तः प्रज्ञा प्रकार जुंग का मत था की जिनका आत्मन पूर्ण रूप से सिद्ध (
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| 40. | श्रुति में कहा गया है कि _ ' आत्मन: प्रतिकूलानि परेषां न समाचरेत ' ।
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