चूंकि इन कार्यों के लिए विवेक की भी आवश्यकता होती है, अतएव इन्हें मानव शरीर में ‘ आत्मन् ' के तुल्य माना गया है.
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आस्था सम्भरण के ब्राह्मणों के इस प्रसिद्ध व्यवसाय में आत्मन् की महानता और धर्मान्धता के अतिरेक के ये परस्पर विरोधी तत्त्व आज भी साथ-साथ पाये जाते हैं।
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अस्तित्ववादियों का मानना है कि आधुनिक समाज, धर्म, राजनीति का गठन इस प्रकार किया गया है कि इसमें आत्मन् की विस्तार की सभावनाएं बहुत कम हैं.
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5 इसी से आप शब्द निकलता है, बँगला में आपके स्थान पर आपनि और बिहार में आपुन बोला जाता है, जिसमें, आत्मन् की पूरी झलक है।
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अस्तित्ववाद आत्मन् का महिमामंडन तो करता है, लेकिन महान आत्मन् अपनी वास्तविक स्थिति को क्यों भूला हुआ है, इसका उसके पास कोई ठोस उत्तर नहीं है.
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अस्तित्ववाद आत्मन् का महिमामंडन तो करता है, लेकिन महान आत्मन् अपनी वास्तविक स्थिति को क्यों भूला हुआ है, इसका उसके पास कोई ठोस उत्तर नहीं है.
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अस्तिववादी कहते हैं कि आत्मन् को बुद्धि के माध्यम से जानना असंभव है, किंतु उसको भावनाओं एवं अंतर्दृष्टि के माध्यम से अनुभव तथा विश्लेषित किया जा सकता है.
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हे प्रिय आत्मन्! इस मंगलमय नूतन वर्ष के नवप्रभात में सत्य संकल्प करो कि मैं अपने सत्कर्मों से संपूर्ण भूमंडल पर भारतीय संस्कृति व गीता के ज्ञान का दीपक जगमगाता रहूँगा।
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इस एकांकी के अन्त में दुर्योधन के भूमि पर गिरने के बाद मैंने एक और दुर्योधन की कल्पना की, जो उसका आत्मन् है और जो थय्यम् की तरह उसके सामने खड़ा है.
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[हे आत्मन्! तू केवल परमात्मा का प्रेमी बन और माया-रूपी दुनिया कितनी सुन्दर हो, उससे मन न लगा, यहां तक कि सिवा परमात्मा के किसी से भी इच्छा न कर।