किसी समय जो दृश्य आह्लादमयी आत्मविस्मृति में डुबा देता, वह आज उसके लिए देखने की वस्तु ही नहीं रही, क्योंकि वह अजायबघर की ओर जा रहा था-
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श्री मिश्र ने कहा कि लम्बे समय तक आक्रान्ताओं से जूझते रहने और दासता में जकडे रहने के कारण देश का हिन्दू समाज आत्मविस्मृति के गर्त में खो गया था।
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पर प्रेम-विवर्त-विलास में यह अबुद्धिपूर्वक होता है, क्योंकि उसमें रमण का रमणत्व रमणी में और रमणी का रमणीत्व रमण में आत्मविस्मृति की अवस्था में अनजाने ही सञ्चारित होता है।
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इस संताप और विषाद को मिटाने के हम जो उपाय करते हैं वे हमें अधिक विषाद में ले जाते हैं, क्योंकि वे आत्मविस्मृति (self-abandonment) के उपाय हैं।
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रचनाओं के गहरे भावों ने ऐसे बाँधा कि पढ़ चुकने के कुछ समय बाद भी आत्मविस्मृति की अवस्था में निश्चेष्ट बैठी रही......... सभी रचनाएँ एक से बढ़कर एक हैं.
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इस उद्वेलन को सहते-सहते मणिदीपा ‘प्रेम ' की परिभाषा कुछ यूँ करती है-‘मुझे तो आत्मबोध हो चुका इन्द्र का प्रेम न उद्दाम वेग है, न आत्मविस्मृति या तल्लीनता के चरम क्षण।
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इस उद्वेलन को सहते-सहते मणिदीपा ' प्रेम' की परिभाषा कुछ यूँ करती है-'मुझे तो आत्मबोध हो चुका इन्द्र का प्रेम न उद्दाम वेग है, न आत्मविस्मृति या तल्लीनता के चरम क्षण।
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आत्मदैन्य, आत्मविस्मृति, आत्म तिरस्कार में भौंडा आनंद और अपने से इतनी घृणा कि हमलावर आततायी बर्बरों के अनाचार को दैवदत्त कृपा मानते हुए उनके अनुचर बनने में गौरव और कृतार्थता अनुभव करने लगते हैं।
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इस उद्वेलन को सहते-सहते मणिदीपा ‘ प्रेम ' की परिभाषा कुछ यूँ करती है-‘ मुझे तो आत्मबोध हो चुका इन्द्र का प्रेम न उद्दाम वेग है, न आत्मविस्मृति या तल्लीनता के चरम क्षण।
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मैने किया! और लम्बे समय तक शोध करने पर पाया कि इस सारी विनाश-लीला के पीछे जो अदृश्य सी लगने वाली कमज़ोरी थी, वह थी “ आत्मविस्मृति ”-अर्थात् स्वयं को भूल जाना ।