उक्त प्रार्थनापत्र के विरूद्ध उत्तरदाता भारतीय स्टेट बैंक द्वारा आपत्ति पत्र प्रस्तुत किया गया, जिसमें उसके द्वारा मुख्यतः यह कहा गया कि प्रतिवादी सं0-2 द्वारा दि0-4-4-08 को अपना जबावदावा न्यायालय में पेश कर दिया था, उसके बाद वादी का साक्ष्य भी अंकित किया जा चुका है।
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यह तथ्य सिद्ध है कि सम्पत्ति मद ‘ब ' वादीगण की सम्पत्ति है और वादीगण के कब्जे व इस्तेमाल में है, जिसको प्रतिवादीगण के द्वारा अपने आपत्ति पत्र में स्वीकार किया गया है, लेकिन अपने कथनो को तोड़ मोड़ कर यह दर्षाया है कि वादीगण पंचायती जमीन की आड़ में प्रष्नगत सम्पत्ति को कब्जाना चाहते हैं, जबकि प्रतिवादीगण ने वादीगण के कब्जे की बाबत स्वीकार किया है।