एक धर्म के भीतर भी लोग कई शाखाएं तलाश लेते हैं और उन शाखाओं में भी कल्ट बनने लगते हैं, जिनके बीच आपसी लेन-देन इस कदर होता है कि उन्हें पुराने धर्मों के के तहत बांधना नामुमकिन हो जाता है।
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यह कहना अत्यन्त कठिन है कि नापतौल पद्धति का आविष्कार कब और कैसे हुआ होगा किन्तु अनुमान लगाया जा सकता है कि मनुष्य के बौद्धिक विकास के साथ ही साथ आपसी लेन-देन की परम्परा आरम्भ हुई होगी और इस लेन-देन के लिए उसे नापतौल की आवश्यकता पड़ी होगी।
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यह कहना अत्यन्त कठिन है कि नापतौल पद्धति का आविष्कार कब और कैसे हुआ होगा किन्तु अनुमान लगाया जा सकता है कि मनुष्य के बौद्धिक विकास के साथ ही साथ आपसी लेन-देन की परम्परा आरम्भ हुई होगी और इस लेन-देन के लिए उसे नापतौल की आवश्यकता पड़ी होगी।
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यह कहना अत्यन्त कठिन है कि नापतौल पद्धति का आविष्कार कब और कैसे हुआ होगा किन्तु अनुमान लगाया जा सकता है कि मनुष्य के बौद्धिक विकास के साथ ही साथ आपसी लेन-देन की परम्परा आरम्भ हुई होगी और इस लेन-देन के लिए उसे नापतौल की आवश्यकता पड़ी होगी।
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यह कहना अत्यन्त कठिन है कि नापतौल पद्धति का आविष्कार कब और कैसे हुआ होगा किन्तु अनुमान लगाया जा सकता है कि मनुष्य के बौद्धिक विकास के साथ ही साथ आपसी लेन-देन की परम्परा आरम्भ हुई होगी और इस लेन-देन के लिए उसे नापतौल की आवश्यकता पड़ी होगी।
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इसमें आप अपनी जीवन पद्धति या आजीविका हेतु किसी कला या शिल्प की इस तरह साधना करते हैं कि आपकी ऊर्जा और ब्रह्मांड की ऊर्जा के बीच आपसी लेन-देन संगीत के आरोह-अवरोह की तरह नियमित रूप से चला करता है और जिन्दगी एक फूल की तरह रसीली और सुगंधित गंध बिखेरने लगती है।
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बेहतर तो यही होता हे यादव जी कि २० वीं सदी में कविता और कहानी जैसी विधाओं के आपसी लेन-देन रिश्तों को समझने के इस जटिल विमर्श और कुछ सू्क्ष्म किस्म के बौद्धिक झमेले से आप अपने को दूर रखते और इस उम्र में अपनी काक-दृष्टि और अपनी सारी ऊर्जा नारी-विमर्श बनाम औरत की देह पर टिकाये रहते.
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बेहतर तो यही होता हे यादव जी कि २ ० वीं सदी में कविता और कहानी जैसी विधाओं के आपसी लेन-देन रिश्तों को समझने के इस जटिल विमर्श और कुछ सू्क्ष्म किस्म के बौद्धिक झमेले से आप अपने को दूर रखते और इस उम्र में अपनी काक-दृष्टि और अपनी सारी ऊर्जा नारी-विमर्श बनाम औरत की देह पर टिकाये रहते.
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मीडिया के बढ़ते दबाब मे मुन्ना शुक्ला कि पत्नी एवं वर्तमान जद (यू) विधायक अंजु शुक्ला ने भी स्वीकार किया है कि पैसे की माँग की गई थी लेकिन तर्क यह कि वह आपसी लेन-देन का मामला है और उधार न चुकाने की मंशा से कालेज के निदेशक संतलाल ने व्यक्तिगत लेन-देन के मामले को रंगदारी की शक्ल दे दिया।
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299. अंग्रेजी में लिखे सरकारी कागजों को नष्ट करने पर उतारू क्रान्तिकारियों से यह बात किसने कही-' अंग्रेजों के भारत से चले जाने पर, जिन कागजातों के आधार पर लोगों के वंश, वारिसदारी के अधिकार तथा लोगों के आपसी लेन-देन का प्रमाण हमें मिलेगा, इन कागजों को जलाकर जब यह सब आप नष्ट कर देंगे जो आपको नहीं करना चाहिए '? उ. कुँवर सिंह ने।