काँसे के सिक्के में ताँबा, टिन और जस्ते का, ताँबा, निकल सिक्के में ताँबा और निकल का, निकल-पीतल सिक्के में ताँबा, निकल और जस्ते का, तथा रजतमिश्र धातु के सिक्के में साधारणतया केवल चाँदी का आमापन किया जाता है।
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समाप्त हो गया है और सन् 1946 के पूर्व जिन सिक्कों में मुख्य धातु चाँदी होती थी उनमें चाँदी का स्थान शुद्ध निकल ने ले लिया है, फिर भी भारतीय टकसालों में प्रयुक्त चाँदी के आमापन की विधि का उल्लेख कर देना आवश्यक है।
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समाप्त हो गया है और सन् 1946 के पूर्व जिन सिक्कों में मुख्य धातु चाँदी होती थी उनमें चाँदी का स्थान शुद्ध निकल ने ले लिया है, फिर भी भारतीय टकसालों में प्रयुक्त चाँदी के आमापन की विधि का उल्लेख कर देना आवश्यक है।
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काँसे के सिक्के में ताँबा, टिन और जस्ते का, ताँबा, निकल सिक्के में ताँबा और निकल का, निकल-पीतल सिक्के में ताँबा, निकल और जस्ते का, तथा रजतमिश्र धातु के सिक्के में साधारणतया केवल चाँदी का आमापन किया जाता है।
35.
अन्य सभी देशों की टकसालें चाँदी के आमापन के लिये एक मात्र एक मात्र गे-लूसाक (Gay-lussac) की विधि का प्रयोग करती है, जबकि भारत में देशी विधि का प्रयोग होता था और इस दावे के साथ कि भारतीय विधि गे-लूसाक विधि से अधिक न सही, उसके बराबर परिशुद्ध परिणाम अवश्य देती है।
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यद्यपि अब भारतीय सिक्कों में चाँदी का प्रयोग पूर्णत: समाप्त हो गया है और सन् 1946 के पूर्व जिन सिक्कों में मुख्य धातु चाँदी होती थी उनमें चाँदी का स्थान शुद्ध निकल ने ले लिया है, फिर भी भारतीय टकसालों में प्रयुक्त चाँदी के आमापन की विधि का उल्लेख कर देना आवश्यक है।
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अन्य सभी देशों की टकसालें चाँदी के आमापन के लिये एक मात्र एक मात्र गे-लूसाक (Gay-lussac) की विधि का प्रयोग करती है, जबकि भारत में देशी विधि का प्रयोग होता था और इस दावे के साथ कि भारतीय विधि गे-लूसाक विधि से अधिक न सही, उसके बराबर परिशुद्ध परिणाम अवश्य देती है।
38.
सिक्के में यदि एक ही धातु हो तो धातु और सिक्का दोनों का आमापन समान रूप से आवश्यक है, जिससे धातु में ऐसे हानिकारक अपद्रव्य न प्रविष्ट हो जाएँ जिनसे सिक्का निर्माण की अनेक अवस्थाओं में धातु की कार्यकारिता और गुणों पर गंभीर कुप्रभाव पड़े, या प्रचलित हो जाने पर सिक्के के गुणों में अंतर हो जाए।
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सिक्के में यदि एक ही धातु हो तो धातु और सिक्का दोनों का आमापन समान रूप से आवश्यक है, जिससे धातु में ऐसे हानिकारक अपद्रव्य न प्रविष्ट हो जाएँ जिनसे सिक्का निर्माण की अनेक अवस्थाओं में धातु की कार्यकारिता और गुणों पर गंभीर कुप्रभाव पड़े, या प्रचलित हो जाने पर सिक्के के गुणों में अंतर हो जाए।
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सिक्के में यदि एक ही धातु हो तो धातु और सिक्का दोनों का आमापन समान रूप से आवश्यक है, जिससे धातु में ऐसे हानिकारक अपद्रव्य न प्रविष्ट हो जाएँ जिनसे सिक्का निर्माण की अनेक अवस्थाओं में धातु की कार्यकारिता और गुणों पर गंभीर कुप्रभाव पड़े, या प्रचलित हो जाने पर सिक्के के गुणों में अंतर हो जाए।